शिवपुरी। कोरोना त्रासदी के भीषण दौर में जब समूची मानवता संकट की स्थिति में है। तब समाजसेवी संस्था मंगलम शिवपुरी का सेवा प्रकल्प एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में सामने आया है। मंगलम ने जनसहयोग से परोपकार की एक अदभुत श्रृंखला निर्मित की है। जिसका लाभ पीडि़तों और उनके परिजनों को निरंतर मिल रहा है।
सेवा की इस परंपरा में यथासंभव मरीजों को चिकित्सीय सहयोग, कोरोना दवा की किटों का वितरण और अन्नपूर्णा सेवा निरंतर जारी है। यह सब इसलिए संभव हो रहा है कि शिवपुरी के सेवाभावी लोगों ने मंगलम संस्था में अपना अटूट विश्वास व्यक्त कर उन्हें मुक्त हस्त से दान दिया है।
वहीं सेवाभावी युवक भी जनसेवा की भावना से मंगलम के प्रकल्प से जुडे हैं और वह अस्पताल, मेडीकल कॉलेज तथा पीडि़त परिवारों के घरों तक पहुंचकर उन्हें भोजन, दवाएं तथा अन्य आवश्यक सहयोग प्रदान करने में जुटे हुए हैं। जिसके परिणामस्वरूप अभी तक इस सेवा कार्य में जुटे 7 नवयुवक कोरोना से संक्रमित भी हो चुके हैं।
लेकिन इसके बाद भी सेवाभावना में कोई कमी नहीं आई है और मानव सेवा का यह यज्ञ अनवरत रूप से जारी है। उक्त जानकारी मंगलम अध्यक्ष राकेश गुप्ता, उपाध्यक्ष डॉ. गोविंद सिंह, डॉ. शैलेंद्र गुप्ता, जिनेश जैन, सचिव राजेंद्र मजेजी, सहसचिव हरिओम अग्रवाल, राजेश बिहारी पाठक, राजीव श्रीवास्तव और कोषाध्यक्ष दीपक गुप्ता ने देते हुए बताया कि इस पवित्र काम में मंगलम के सभी संचालकों और शुभचिंतकों तथा शिवपुरीवासियों ने भरपूर सहयोग दिया।
मंगलम संस्था ने डिजीटल प्लेटफॉर्म से इस सेवा कार्य की शुरूआत की। जिसके जरिए पीडि़त अपनी समस्याओं से अवगत कराते थे और मंगलम के व्हॉट्सएप गु्रप में जुडे जिला अस्पताल के डॉक्टर तथा अन्य विशेषज्ञ उन समस्याओं का निदान करते हैं। कोरोना पीडि़तों के इलाज के लिए उनके अटेंडर भी जिले के अन्य स्थानों से शिवपुरी में आते हैं और उनके खाने-पीने आदि की समस्या को देखते हुए मंगलम ने जिला अस्पताल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सहयोग से स्टॉल लगाया।
जिसमें प्रमुख रूप से युवा समाजसेवी रानू रघुवंशी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस स्टॉल पर सुबह 7 से 12 बजे तक चाय, ब्रेड, बिस्किट और टोस्ट सभी के लिए सुलभ रहते हैं। सुबह 8 से 9 बजे तक दलिया या खिचड़ी का नाश्ता, सुबह 9 से 11 बजे तक पोहे के वितरण और दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक भोजन, शाम को 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक चाय और रात्रि 7 से 8 बजे तक भोजन।
भोजन के लिए जिला चिकित्सालय में निशुल्क रूप से कूपन सुलभ हैं। इस सेवा का विस्तार बाद में मेडीकल कॉलेज तक किया गया और वहीं जिन घरों में पॉजिटिव मरीज हैं तथा उनके यहां खाना बनाने वाला कोई नहीं है, उन तक भोजन पहुंचाने का जिम्मा भी मंगलम ने अपने कंधों पर संभाला। बाद में इस सेवा भावना का विस्तार करते हुए उन मरीजों को निशुल्क रूप से कोरोना दवा की किटें दी गई।
जिनमें कोरोना के प्रारंभिक लक्षण हैं। अभी तक मंगलम ने 400 से अधिक कोरोना दवा की किट वितरित की हैं। कोरोना काल में निम्र मध्यमवर्गीय परिवार रोजगार न मिलने से परेशान हैं और उनके घर में खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह देखते हुए मंगलम ने ऐसे परिवारों के लिए सूखे राशन की उपलब्धता सुनिश्चित की और अभी तक 300 से अधिक परिवार इस सुविधा का लाभ उठा चुके हैं।
20 परिवारों को एक समय दोनों वक्त का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। मंगलम की समाजसेवा से जुडे लगभग एक दर्जन डॉक्टर प्रतिदिन मरीजों को फोन और व्हाट्सएप पर निशुल्क परामर्श दे रहे हैं। मंगलम का डिजीटल प्लेटफार्म जरूरतमंदों की सेवा में अग्रणी रहा है और गंभीर मरीजों को समय पर बेड मिले, उन्हें ऑक्सीजन सुलभ रही। इसका पूरा ध्यान मंगलम संस्था कर रही है। यहां तक ग्वालियर तक प्लाज्मा एवं अन्य उपचार में भी यह संस्था सहयोगी साबित हो रही है।
शहर के युवा साथी भी मंगलम के सेवा प्रकल्प से जुड़े
मंगलम के सेवा प्रकल्प के माध्यम से कुछ युवा साथियों ने 17 ऐसे परिवारों को राशन एवं अन्य रोजमर्रा की वस्तुएं पहुंचाने का निर्णय लिया। जिनके जहां कमाने वाला कोई नहीं है। ऐसे परिवार के बच्चे अनाथ श्रेणी में हैं। उनके माता-पिता इस दुनिया को छोडकर जा चुके हैं।
करीब 35 ऐसे बच्चे हैं, जो 17 परिवारों में निवासरत हैं। उन्होंने 1098 चाईल्ड हेल्प लाईन से भोजन की मदद मांगी थी। उन युवा साथियों ने समाजसेवी रानू रघुवंशी के माध्यम से मंगलम के प्लेटफॉर्म को चुना और अपना नाम उजागर नहीं किया।
मंगलम चाईल्ड लाईन के माध्यम से इन चिन्हित बच्चों के संरक्षकगणों को भोजन पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। ऐसे अनाम युवा समाजसेवियों को प्रणाम और उनका बहुत-बहुत आभार कि उन्होंने इस नेक काम के लिए मंगलम को चुना।