बदरवास। कोरोना काल के कारण लंबे समय से मजूदरों के रोजगार पर संकट बना हुआ है। कोरोना की पहली लहर के बाद जैसे-तैसे जीवन पटरी पर लौट रहा था लेकिन अधिक भयानक रूप लेकर आई दूसरी लहर ने मुसीबतों को और बढ़ा दिया। एक ओर पहले ही कोरोना कर्फ्यू के चलते मजदूरों के पास काम नहीं है, तो दूसरी ओर ग्राम पंचायतों में मजदूरों का काम भी मशीनों से कराया जा रहा है।
बदरवास की ग्राम पंचायत धामनटूक में सरपंच-सचिव की मनमानी से मजदूरों को अनदेखा कर पोकलेन और जेसीबी से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। इसमें कपिलधारा से खोदे गए कुएं, रोड, तालाब, मे़ढ़ बंधान आदि सभी काम मशीनों से किए जा रहे हैं।
अपने हितैषियों के खाते में राशि डालकर ये लोग आसानी से निकाल लेते हैं और मजदूरों का हक डकार लिया जाता है। ग्राम पंचायत में दो आदिवासी बस्ती गरगटुसानी और धुवाई हैं जिनमें कई आदिवासी दिहाड़ी मजदूर हैं, लेकिन मनरेगा में मजदूरों की जगह मशीनों से काम हो रहा हैं।
हर जगह फिक्स कमीशन
मशीनों से काम कराने के लिए भी कागजों पर यह दर्शाना होता है कि काम मजदूरों से कराया जा रहा है। भुगतान के लिए मस्टर भी लगते हैं। ऐसे में सरपंच-सचिवों के चुनिंदा मजूदर तय हैं। फर्जी मस्टर रोल लगाकर उनके खातों में रुपये डलवा लिए जाते हैं।
इसमें से कुछ रुपये मजदूर को देकर शेष राशि सरपंच, सचिव और ठेकेदार आपस में बांट लेते हैं। यह पूरा काम कमीशनखोरी पर चलता है इसमें जनपद पंचायत के अधिकारियों से लेकर आरईएस विभाग तक का हिस्सा रहता है।
इनका कहना है
हमारे यहां मशीनों से कोई कार्य नहीं करवाया जाता है, जो मजदूरों के लायक काम हैं वह उनसें ही कराया जाता है।
रामकुमार कुशवाह, सचिव धामनटूक।