शिवपुरी। शिवपुरी शहर और जिले की तहसीलो और कस्बो में गुरूकुलम 30 स्कूल की शाखाएं खोलने के नाम पर 1 करोड की ठगी कर ले गया। 1 साल पूर्व प्रशासन ने गुरूकुलम 30 के जिला मुख्यालय पर छापा भी मारा था,लेकिन जांच के नाम पर उसे क्लीन चिट दे दी,लेकिन अब एक शिकायती आवेदन फिजीकल थाने पर आया हैं उसके आवेदन के अनुसार गुरूकुलम 30 का संचालक जिले के कई लोगो को 1 करोड का चूना लगा गया।
फुल प्लानिंग के साथ लगाया जिले को चूना,फिजीकल थाने में शिकायत
प्रवीणकांत पाठक गुरूकुलम 30 के संचालक ने शहर में एक आफिस खोला था। वह अपनी शाखा गुरूकुलम खोलने के लिए 30—30 हजार की वसूली बेरोजगार लोगो से वसूली की,स्कूल के स्टाफ के नाम पर शिक्षक की नौकरी देने के लिए इंटरव्यू भी लिए। शातिर ठग मुंबई क्राइम ब्रांच के डीजीपी संजीव नारकर को अपना पार्टनर बताता था।
ट्रेनिंग के एवज में इंटरव्यू देने वाले युवाओं से 10 से 20 हजार रु. फीस वसूली। इसके बाद ग्रामीण क्षेत्र में जाकर सालभर की फीस में 50% के डिस्काउंट का लालच देकर 15-15 हजार रुपए वसूलकर बच्चों को प्रवेश भी दे दिया।
इस प्रकार जिले के लाेगाें से एक साल में एक करोड़ रुपए से अधिक वसूलने के बाद बनारस का वह व्यक्ति आठ महीने से गायब है। अब धोखाधड़ी के शिकार हुए लोगों ने फिजीकल थाना शिवपुरी में प्रवीणकांत पाठक नाम के व्यक्ति के खिलाफ लिखित शिकायत कर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
बनारस का रहने वाला था गुरूकुलम का संचालक
बताया जा रहा है कि प्रवीणकांत पाठक को बनारस का रहने वाला बताया जा रहा है। पाठक 30 सितंबर को बनारस गया और अब तक शिवपुरी नहीं लौटा। शिवपुरी जिले में स्कूल की जितनी भी शाखाएं खोली हैं, उनकी बिल्डिंग और गाड़ियों का भाड़ा तक लोगों को नहीं दिया है।
साथ ही फर्नीचर, इलेक्ट्रोनिक सामान, किताबें आदि भी उधार लीं हैं। साथ ही लोगाें को झांसे में लेकर लाखों रुपए ले लिए जाे अब तक नहीं लौटाए। फिजीकल थाना पुलिस ने मामला जांच में ले लिया है।
30 जगह शाखाएं खोलीं, फर्जीवाड़ा कर गायब
शिवपुरी जिले सहित आसपास जिलों में गुरुकुलम की 30 शाखाएं खोलीं और फर्जीवाड़ा कर गायब है। इनमें शिवपुरी शहर में करीब तीन जगह और लुकवासा, कोलारस, बदरवास, पोहरी, करैरा, बैराड़ और पड़ौसी जिले गुना, मधुसूदनगढ़, ग्वालियर के मोहना, अशोकनगर, दतिया, डबरा, दबोह, मुरैना, कैलारस, भिंड, श्योपुर जिले के कराहल, विजयपुर, सबलगढ़, गंजबासौदा, विदिशा आदि शामिल हैं।
पालक फीस वापस लेने के लिए भटक रहे
ट्रेनिंग के एवज में 10 हजार से 20 हजार रुपए की मोटी रकम लेकर जिन युवकों को शिक्षक की नौकरी पर रखा, उनको वेतन नहीं मिला। प्रवीण पाठक ने ट्रेनिंग के एवज में लिया पैसा भी नहीं लौटाया। वहीं 100 से अधिक बच्चों के परिजन से 15-15 रुपए सालाना फीस वसूल ली। पालक फीस वापसी के लिए भटक रहे हैं। जिन्हें टीचर की नौकरी पर रखा, उनके चेहरे दिखाकर पालकों से फीस वसूली गई है। जिनके साथ धोखाधड़ी हुई उनमें नरेश गुप्ता, पूनम शर्मा, वंदना भार्गव, अकील उद्दीन, मोहसिन, कामना गोयल सहित अन्य लोग शामिल हैं।
सबसे पहले लुकवासा के युवक का झांसे में लिया
धोखाधड़ी का शिकार नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि लुकवासा की रहने वाली आस्था शर्मा ने मुझे फोन पर मुंबई की पार्टी से मिलने की बात कही थी। लुकवासा में मेरा मेरिज गार्डन किराए से लेने की बात कही। एक लाख रुपए महीना किराया देने की बात पर तुरंत राजी हो गया। मुझे ही 40 हजार रु. की जॉब पर रखने का लालच दिया तो राजी हो गए। अकाउंट का सारा काम मुझे ही सौंपकर खातों में उधारी का लेनदेन भी मेरे खाते में कराया।
प्रवीणकांत ने सांझे में लेकर मेरे ही परिचितों से उधार दिलवाए। देनदारों का दबाव आने लगा तो 73 लाख में मेरिज गार्डन बेचकर कुछ उधारी चुका दी है। 50 लाख रु. बैंक का कर्जा लौटा दिया। अब किराए से दुकान लेकर मोबाइल सुधार रहा हूं। दिल का दौरा पड़ने से 9 अक्टूबर को पिता की मौत हो चुकी है।
बलात्कार का आरोपी था गुरूकुलम का संचालक
शिवपुरी निवासी नीरज श्रीवास्तव का कहना है कि प्रवीणकांत पाठक अक्सर मुंबई क्राइम ब्रांच के डीजीपी संजीव नारकर से बात करता था। वह कहता था कि हमारी देशभर में गुरुकुलम नाम से 500 से ज्यादा शाखाएं हैं जिसमें डीजीपी नारकर पार्टनर हैं। एक साल में उसने कभी डीजीपी से बात नहीं कराई लेकिन चुपके से नीरज ने डीजीपी का माेबाइल नंबर सेव कर लिया था। सोमवार को डीजीपी को फोन लगाया तो पता चला कि पाठक पर रेप का केस है। तारीख पर आने के लिए फोन लगाता था। यह सुनकर नीरज के होश उड़ गए।
इन लोगों से लाखों रुपए उधार लेकर नहीं लौटाए
नीरज श्रीवास्तव का कहना है कि प्रवीणकांत पाठक ने मुझे नौकरी देकर सांझे में ले लिया। मेरे करीबी मुकेश श्रीवास्तव से 10 लाख, रविंद्र शिवहरे से 3 लाख, कल्याण यादव से 2.60 लाख, तपस्या स्टेशनरी से 1.50 लाख, विजयवर्गीय फर्नीचर से 1.84 लाख, अनिल शर्मा मधुसूदनगढ़ से 50 हजार, मंजू ठाकुर से 2 लाख, लुकवासा स्टाफ से 90 हजार, केशव प्रसाद भार्गव से 80 हजार उधार ले लिए। पैसे भी मेरे खाते में डलवाए। फिर बहाने बनाता रहा। बहन की शादी के लिए दुकान बेची थी, उसमें से एक लाख रु. ले लिए और शादी के दिन लौटाने का वादा किया। शादी का वक्त आया तो बहाना बना दिए।