शिवपुरी। शिवपुरी स्वास्थय विभाग की प्रतिदिन लापरवाही की खबरे और तस्वीर सामने आ रही है,लेकिन अब मानवीय संवेदनाओ को भी मारने से भी पीछे स्वास्थय विभाग नही हट रहा है। मामला शहर के मुक्तिधाम से सामने आया हैं कि एक कोरोना म़तक की लाश को ही स्वास्थय विभाग ने बदल दिया था,लाश की अंतिम क्रिया कर्म की तैयारी पूर्ण थी,लेकिन अंतिम संस्कार से पहले लाश का चेहरा देखा तो परिजनो के होश उड गए।
जानकारी के अनसुार बीते रोज पुरानी शिवपुरी क्षेत्र में रहने वाले हरिओम चौकसे ने कोरोना से लडते हुए अस्पताल में दम तोड दिया था। कोरोना प्रोटोकल के तहत बनाई गई गाईड लाइन के अनुसार शव को पीपीई किट में पैक करके सरकारी शव वाहन से ही कोरोना से मृत व्यक्ति का शव ले जाया जाता हैं।
कोरोना के कारण दम तोड चुके हरिओम राठौर का शव जब अंतिम संस्कार के लिए पहुंचा तो उसका बेटे सहित अन्य परिजन भी मुक्तिधाम पहुंचे,अपने पिता के अंतिम दर्शन के लिए उसने शव का चेहरा खोलने की बात की।
काफी ना-नुकर के बाद हरिओम चौकसे का चेहरा खोला गया तो बेटे की पैरा तले जमीन खिसक गई क्यो कि वह शव उसके पिता हरिओम चौकसे का न होकर किसी महिला का था। शव बदलने के कारण परिजनो ने मुक्तिधाम पर ही हंगामा कर दिया।
पुन:इस महिला के शव को अस्पताल ले जाया गया और हरिओम राठोर के शव को अस्तपाल से मुक्धिाम लाया गया,उसके बाद बेटे ने अपने पिता का अंतिम क्रियाकर्म किया। शव बदलने के कारण यह चर्चा पूरे शहर में रही,ओर लोग स्वास्थय विभाग की व्यवस्थाओ को कोसते रहे।
जिला अस्पताल में हुई गुरूवार को 3 कोरोना से 3 मौत
गुरुवार को जिला अस्पताल शिवपुरी के आईसीयू में तीन और मेडिकल कॉलेज के कोविड आईसीयू में भर्ती दो मरीजों ने दम तोड़ दिया। जिला अस्पताल में दो पुरुष व एक महिला की मौत के बाद शव मुक्तिधाम शिवपुरी ले जाए गए। अंत्येष्टि कराने के लिए मृतकों के परिजन भी पहुंच गए।
जिस शव की अंत्येष्टि कराने जा रहे थे, अंतिम दर्शन करने के लिए परिजनों ने उसका चेहरा खुलवाया तो शव पुरुष की बजाय महिला का निकला। दरअसल जिला अस्पताल में तीनों शव पॉलीथिन में पैक कर दिए थे और नगर पालिका की गाड़ी आकर ले गई। पॉलीथिन की वजह से समझ नहीं आया कि शव किसका है।
कोरोना महामारी की वजह से गंभीर मरीजों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। बुधवार-गुरुवार की रात पांच और कोरोना मरीजों की जान चली गई है। 22 दिन के भीतर 30 कोरोना मरीजों की जान जा चुकी है। कोरोना महामारी को लेकर कई लोग अभी भी गंभीर नहीं हैं और मास्क सिर्फ औपचारिकता के लिए पहन रहे हैं। यह लापरवाही खुद के साथ दूसरों के लिए दुरूखदाई साबित हो सकती है।