शिवपुरी। पिछले कुछ दिनो से लगतार जमीनो के विवाद की खबरे आ रही हैं। एक ऐसा मामला समाने आया हैं जिसमें आगे चलकर विवाद होता हैं तो इसमें पूरी जिम्मेदारी राजस्व अमले की होगी। मामला एक बटांकन का हैं जिसमें भ्रष्टाचार के कारण अधिकारी एक पक्षीय कार्रवाई कर रहे हैं इस विवादित जमीन में प्लाट भी बिकना शुरू हो चुके हैं अगर इस विवादित जमीन में आगे मामला न्यायालय में जाता हैं तो प्लॉट खदीदने वाले परेशान होंगें।
शहर के शिवपुरी पब्लिक स्कूल के सामने सर्वे क्र . 210/1 की रकवा 0.418 हैक्टेयर भूमि का सामने आया हैं, इसमें 75 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक बद्रीप्रसाद शर्मा ने पत्नी लीलावती के नाम पर दर्ज जमीन को लेकर कलेक्टर से फरियाद की हैं। शिक्षक बद्रीप्रसाद शर्मा का कहना है कि उक्त जमील लीलावती व लक्ष्मी देवी पत्नी हरीशंकर व्यासके संयुक्त खाते की थी।
इस जमीन में से लक्ष्मी देवी ने अपना हिस्सा मिथलेश गुप्ता को बेच दिया था तथा पटवारी ने बिना फर्द दिखाए एक पक्षीय बंटवारा करते हुए समूचा फ्रंट मिथलेश गुप्ता के नाम कर दिया। उस जमीन के बंटवारे को लेकर वर्तमान में शिवपुरी तहसील में प्रकरण विचाराधीन है । बावजूद इसके प्रकरण निराकरण हुए बिना ही मिथलेश गुप्ता द्वारा उस जमीन पर अपना स्वामित्व व आधिपत्य दर्शाकर लोगों को विवाटासाट जमीन पर प्लॉटिंग की तैयारी की जा रही हैं।
शिक्षक ने कलेक्टर सहित कोतवाली पुलिस से मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर निराकरण होने तक प्लॉटिंग का कार्य रुकवाने की गुहार लगाई है ।
शिक्षक का आरोप है कि उक्त विवादित जमीन में से प्लॉटिंग के लिए रास्ता तैयार करने का जब उन्होंने विरोध किया तो दूसरा पक्ष उनसे झगड़ने पर उतारू हो गया। ऐसे में इस बात की आशंका से इंकार नहीं किया जासकता कि जमीन को लेकर वृद्ध शिक्षक दंपति के साथ कभी भी कुछ अनहोनी घटित हो सकती है और पूर्व में शहर में जमीन विवाद के चलते घटित हुई घटनाओं की पुनरावृत्ति भी हो सकती है ।
2011 में निरस्त हुआ था बंटवारा
शिक्षक शर्मा का कहना है कि पूर्व में 7 जनवरी 2011 को तत्कालीन तहसीलदार ने उक्त जमीन का बंटवारा गलत ढंग से कर दिया था। इस जमीन का करीब 115 फीट फ्रंट मिथलेश गुप्ता के नाम चढ़ा दिया, जिस पर तत्समय आपत्ति दर्ज कराने के बाद तत्कालीन एसडीएम ने 2 जून 2011 को बंटवारा निरस्त करते हुए विवादित जमीन का पुनः नियमानुसार बंटवारा करने के निर्देश दिए थे ।
न्यायालय में जा सकता हैं मामला
समय रहते जिला प्रशासन ने कार्रवाईकर प्रकरण का निराकरण होने तक तत्काल प्रभाव से प्लॉटिंग प्रक्रिया नहीं रुकवाई तो इसका खामियाजा उन लोगों को भी भुगतना पड़ेगा जो यहां सिर्फ नामांतरण और रजिस्टरी के आधार पर प्लॉट क्रय करलेंगे।ऐसे में उन लोगों की जीवन भर की गाढ़ी कमाई भी इस विवादास्पद जमीन के चलते उलझ जाएगी। अब यह मामला न्यायालय में भी जा सकता हैं।
राजस्व के अधिकारियो का भ्रष्टाचार आया हैं सामने
इस पूरे मामले में सिद्ध होता हैं कि भारी भ्रष्टाचार कर अधिकारियो ने एक तरफा बटाकन कर दिया हैं,आगे का फ्रंट 115 हैं जिसे नियमानुसार आधा आधा किया जाना चाहिए था लेकिन इसमें एक ही पार्टी को पूरा फ्रंट दे दिया तो विवाद का कारण बन रहा है।
11 साल में तहसील नही सकी न्याय
इस पूरे मामले में 11 साल तक तहसील का न्यायालय इस मामले को सुलझा नही सका है। जो भी तहसीलदार पदस्थ होता हैं पुरूषोत्तम गुप्ता की ओर से रिश्वत की गिफ्ट पहुंचा दी जाती हैं। इस कारण इस प्रकरण को 11 साल हो गए। अब शहर में सीमांकन को विवाद 11 साल में तहसील नही सुलटा सकी तो गांवो में खेतो में बटवारे कैसे होतें होगेंं।
कलेक्टर करे तत्काल कार्रवाई,ले रही है अवैध कॉलोनी जन्म
इस जमीन का रकवा लगभग 2 बीघा बताया जा रहा हैं,2 बीघा में 2 हिस्से हैं। एक एक बीघा जमीन दोनो पार्टनरो की है। अब 1 बीघा में कॉलोनी काटी जा रही है। विवाद की बात बाद में करेंगें। अब प्रश्न खडा होता हैं कि अगर भ्रष्टाचार नही है तो 1 बीघा में कॉलानी कैसे काटी जा सकती है। कलेक्टर से भूमि स्वामी ने आग्रह किया हैं कि तत्काल इस कॉलोनी की रजिष्ट्री पर रोक लगाई जाए।