शिवपुरी। खबर खादृय विभाग की है। जहां बीते साल हुए करोडों रूपए के चना खरीदी काण्ड के बाद अब फिर से माफिया सक्रिय हो गए है। जहां माफियाओं ने जिले में सैंकडों किसान ऐसे है जिन्हें पता तक नहीं है और उनकी जमींन का पंजीयन बटाईदार बनकर माफियाओं ने करा लिया है। इस पंजीयन की पोल आज उस समय खुली जब एक पोहरी के किसान ने देखा कि उसकी जमींन का पंजीयन हो गया है।
जानकारी के अनुसार पोहरी तहसील के ग्राम भटनाबर निवासी कल्यान चंद शर्मा पुत्र गोपीलाल शर्मा उम्र 65 साल निवासी भटनावर की हल्का नंबर 52 सर्वे नंबर 339 जमींन है। जिसमें उसकी गेंहू की फसल खडी हुई थी। बीते रोज जब खरीदी प्रांरभ होने की सूचना मिली तो वह अपनी जमींन का पंजीयन चैक कराने पहुंचा तो सामने आया कि उसका पंजीयन तो हो चुका है।
इस देखकर कल्यानचंद शर्मा चौक गए । कल्यान चंद्र शर्मा ने जब देखा कि यह पंजीयन किसके नाम पर हुआ है तो सामने आया कि यह पंजीयन गंगाराम धाकड पुत्र हरगोविंद धाकड निवासी आकुर्सी के नाम पर है। जब उसने पूरी जानकारी जुटाई तो सामने आया कि अन्य सर्वे नंबर भी आरोपी ने अपने नाम पर पंजीक्रत करा लिए।
बताया गया है कि उक्त घोटाले को अंजाम आरोपी ने अपने ही किसी रिश्तेदार से मिलकर किया है। जब इस संबंध में पीडित ने आरोपी से बात करने का प्रयास किया तो उसने भी यह कहा कि इस घटना के संबंध में उसें कोई जानकारी तक नहीं है।
कैसे होगा घोटाला
सूत्रों की माने तो यह घोटाला माफियाओं ने पूरी प्लानिंग के साथ दिया जाता है। जहां सबसे पहले यह माफिया पंजीयन के लिए ऐसी जमींन को खोजते है जिनमें कोई फसल नहीं होती। उसके बाद उक्त जमींन का सर्वे नंबर निकालकर पटवारी की मिली भगत से उक्त जमींन में फसल चढबा लेते है। इस फसल को चढबाकर माफिया अपने आदमी को इस जमींन का बटाईदार बनाकर बटाईदार का खाता नंबर चढा देते है।
उसके बाद माफिया बाजार से औने पौने दामों में फसल को खरीदते है फिर इस फसल में कंकड पत्थर मिलाकर सोसाईटीयों से मिलकर इन्हें सोसाईटी को बेच देते है। इस पूरे घटनाक्रम में माफिया आधे दाम में खरीदी गई फसल को दो गुनी रेट तक सरकार को बेचते है। जिसके चलते यह पूरा घोटाला घटित होता है। यहां बता दे कि पिछले साल भी ऐसे ही कई घोटाले सामने आए थे। परंतु उसके बाबजूद भी इन पर कोई कार्यवाही नहीं होने के चलते माफियाओं के हौंसले बुलंद कर दिए।