कलेक्टर मैडम यह शहर नर्सरी की क्लास नहीं है, फाइल गायब हुई तो FIR कहां है

Bhopal Samachar
एक्सरे @ललित मुदगल,शिवपुरी। RED ZONE से ग्रीन जोन में प्रवेश कराने वाला मोहम्मद शोएब खान का पास शिवपुरी प्रशासन की गले की हड्डी बन गया। इस एक पास ने कोरोना क्लीन जिले को कोरोना संक्रमित कर दिया। लगतार इस पास को जारी करने पर सवाल खडे हो रहे हैं, कार्रवाही की मांग उठ रही हैं। प्रशासन बैकफुट पर गया और 3 कर्मचारी सस्पेंड कर दिए, लेकिन प्रशासन सस्पेंड की इस कार्रवाही में स्वयं की चाल में ही उलझ गया। इस मामले में दिया गया कलेक्टर शिवपुरी का बयान निशाने पर आ गया आईए कलेक्टर शिवपुरी के बयान का एक्सरे करते हैं।

मंगलवार की देर शाम शहर को झटका देने वाली खबर आई कि कोरोना क्लीन शिवपुरी को तीसरा कोरोना पॉजीटिव मरीज कोलारस निवासी मोहम्मद शोएब खान के रूप में मिला हैं। मोहम्मद शोएब ने 24 घटें पूर्व ही जिले की सीमा में प्रवेश किया था, इस पास के कारण ही कोरोना क्लीन शिवपुरी में कोरोना ने प्रवेश किया हैं, इसके लिए प्रशासन विधिवत ई-पास जारी किया हैं।

यूपी का सहारपुर जिले के देववंद तहसील के एशिया के सबसे बड़े मदरसा दारुल उलूम से कोरोना पॉजीटिव शोएब राईन और आरक्षक रहीस के बेटे इस्लाम को शिवपुरी लाने के लिए 3 मई को ई-पास जारी हुआ था।

जैसे ही यह जानकारी शहर के लोगो को लगी कि प्रशासन ने रेडजॉन जिले से ग्रीनजॉन जिले में प्रवेश का पास जारी किया हैं,लोगो को गुस्सा सिर चढकर बोलने लगा। शोसल पर आमजन प्रतिक्रिया दर्ज कराने लगे,और यह भी लिखने लगें कि बहुत ही आवश्यक और गंभीर बीमारी में पास जारी नही किए जा रहे तो यह पास कैसे जारी हो गया।

यह पास क्यो जारी किया और यह कितना आवश्यक था। ऐसे कई प्रश्न सोशल की हवा में तैरने लगें। लोगो का आग लगे सवाल सुलगने लगें,इन सवालो पर कार्रवाई का पानी डालने का प्रयास किया और देर शाम को प्रशासन के गलियारो से खबर आई की इस मामले में एडीएम आफिस में पदस्थ बाबू करन भटनागर,अविनाश आदिवासी ओर विमल श्रीवास्तव सहायक ग्रेड 03 को संस्पैंड किया गया हैं।

कलेक्टर शिवपुरी अनुग्रह पी ने मीडिया को बयान दिया हैं कि ई-पास संबंधी फाइल संबंधित तीनों लोगों में से किसी ने गायब की है। उक्त ई-पास के बारे में डिप्टी कलेक्टर अंकुर गुप्ता को जानकारी तक नहीं है। इसलिए तीनों को निलंबित किया हैं,ऐसा बयान कैसे जारी कर सकती हैं कलेक्टर मेडम,शायद शहर को नर्सरी का छात्र समझा हैं कि जैसा कहोगें वैसा मान लिया जाऐगा।

अगर फाईल गायब है तो एफआईआर करना अब बहुत आवश्यक हैं,आखिर शहर को जानना चाहता हैं कि इस पास को जारी करने का असली में दोषी कौन हैं। इस पास ने शहर को फिर लॉकडाउन की ओर अग्रसर कर दिया हैं।  

कलेक्टर शिवुपरी के इस बयान पर बडा सवाल खडा होता हैं कि शिवपुरी को संक्रमित करने वाला पास जारी करने वाली फाईल गायब हो गई कि करा दी गई,क्यो की ई-पास जब ही जारी हुआ होगा जब इस पास डिप्टी कलेक्टर अंकुर गुप्ता के डिजिटल हस्ताक्षर हुए होंगें,तो इन बाबूओ का क्या दोष सवाल बडा हैं और जबाब की प्रतिक्षा में खडा हैं।

डिजिटल हस्ताक्षर करने का पासवार्ड तो केवल हस्ताक्षर कर्ता के पास ही रहता हैं तो क्या पासवार्ड इन बाबूओ में से किसी एक के पास था क्या,अगर ऐसा है तो फिर डिप्टी कलेक्टर अंकुर गुप्ता की यह एक ओर बडी और गंभीर लापरवाही हैं कि हस्ताक्षर हो गए ओर उन्है पता तक नही,ऐसे तो ना जाने कितनो आदेशो पर हस्ताक्षर हो गए होंगें।

अगर हस्ताक्षर पासवार्ड लीक नही तो इस इस रेडजॉन से ग्रीनजॉन के प्रवेश पास पर डिप्टी कलेकटर अंकुर गुप्ता ने कैसे हस्ताक्षर कैसे कर दिए यह भी एक बडा सवाल हैं,इस सवाल का इंतजार शहर कर रहा हैं।

इस पूरे प्रकरण में कल देर शाम एक ओर बात देखने में मिली इन तीनो बाबूओ को कल पुलिस हिरासत में लिया गया था। पुलिसिया कार्रवाही का प्रेशर बनाया गया। कही ऐसा तो नही पुलिसिया कार्रवाई के मुहाने पर खडे कर इन बाबूओ को मानसिक रूप से तोडा जा रहा हो कि सारा दोष अपने सिर पर ले लो। नही तो एफआईआर करा दी जाऐगी। अगर ऐसा नही है तो इन बाबूओ को 2 घंटे तक कोतवाली में क्यो बैठाया गया,यह भी सवाल खडा हैं जबाब के लिए।

कलेक्टर अनुग्रहा पी का कहना है कि ई-पास संबंधी फाइल संबंधित तीनों लोगों में से किसी ने गायब की हैं। अगर दैनिक भास्कर को दिए गए इस बयान को पूर्ण सत्य माने और विशवास करे तो इस फायल गायब होने के मामले में एफआईआर क्यो नही कराई गई। अगर मेडम एफआईआर करा दे तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाऐगा कि फाईल कहां है और कैसे गायब हुई और इस VIP पास करने का पूरा चिठ्ठा भी बहार आ सकता हैं।

अगर प्रशासनिक जानकारो की माने तो इस पास को जारी करने में दोषी है तो वह हैं डिप्टी कलेक्टर अंकुर गुप्ता,डिजीटल हस्ताक्षर का पासवार्ड तो उनके पास ही हैं। अगर पासवर्ड लीक हैं तो भी वह दोषी हैं अब तक ना जाने कितने ऐसे पासो पर हस्ताक्षर हो चुके होंगें,जो नही होने योग्य हो।

आईए इस एक्सरे मे ई-पास से जुडे और कुछ मामलो को जानने का प्रयास करते हैं। कोलारस विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने इस ई-पास को जारी करने के मामले में एक बायान दिया था उन्होने कहा था कि यहां लापरवाही बरती जा रही हैं ई-पास जारी का प्रभार और किसी डिप्टी कलेक्टर को दिया जाए।

भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य भाजपा नेता धैर्यवर्धन शर्मा ने इस मामले में अपना प्रेस नोट जारी किया हैं। जारी प्रेस नोट में लिखा हैं कि जायज एंव जरूरमंद लोगो को पास नही दिए और कोरोना कैरियर को जान बुझकर देवबंद यूपी से ग्रीनजोन शिवपुरी में न्यौत दिया। छोटे कर्मचारियों के सिर पर बात टालने के बजाय इसके लिए नियुक्त ई-पास अधिकारी डिप्टी कलेक्टर अंकुर गुप्ता को निलबिंत किया जाना चाहिए।

वही गंभीर बीमारी कैंसर जैसे मामले में ई पास जारी नही किया था इस आफिस ने,कुछ दिन पूर्व ठकुरपुरा निवासी त्रिलोक सिंह यादव ने मीडिया को बताया था कि मेरे बडे भाई को कैंसर है और उन्है ग्वालियर में सिकाई कराने के लिए जाना हैं लेकिन दो बार आवेदन करने के बाद भी उन्है ई पास जारी नही किया गया। इसके लिए 3 दिन उन्होने कलेक्टर कार्यालय के चक्कर भी लगाए। अब कैंसर जैसे गंभीर मामलो में ई पास जारी नही हो रहे थे तो इस मामले मे कैसे पास जारी हो गया सवाल बडा हैं।