शिवपुरी। देश कोरोना से जंग कर रहा हैं। तो हमारा शिवपुरी इस महमारी मे जल समस्या से जंग कर रहा हैं। इस लॉकडाउन में समाजसेवी गरीब मजदूरो की पेट की आग को तो शांत कर रहे हैं,लेकिन कंठ की प्यास नही शांत हो पा रही हैं। इस कारण घरो की कटटी लॉक नही पा रही हैं।
गर्मीयो ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया हैं। कोरोना से संघर्ष के साथ अब जल संघर्ष भी शुरू हो गया। सोशल डिस्टेंस के लिए देश को लॉक किया गया,लेकिन शहर के प्यासे कंठो ने इस सोशल को तोड दिया। हाथ में पानी के बर्तन बाजार में नजर आते लोग पानी की जुगाड में घूम रह है।
पेयजल को लेकर शिवपुरी समाचार ने ग्राउंड रिर्पोटिंग की। कैमरे लेकर टीम पहुंची फिजीकल से मीट मार्केट को आने वाली गली में,जहां स्थित पीपल वाले कुए पर लोगो का जमघट लगा था। जल से संघर्ष चल रहा था,कोरोना से नही। कोई शोसल डिस्टेंस का पालन नही था। मुंह पर मास्क नही थें,कुल मिलाकर दो शब्दो में कहे तो जान से ज्यादा कंठ की आग की चिंता थी। कंठ की प्यास बुझाने के लिए पानी की व्यवस्था तो बेहद आवश्यक थी।
अब बात करते हैं कम शब्दो में सिंध की। पिछले 10 साल से सिध पर राजनीति चल रही हैं। मेरे पार्षद से लेकर इस देश के प्रधानमंत्री भी गांधी कॉलोनी में आकर हमारे प्यासे कंठो पर भाषण पेल चुके हैं। कहने का सीध सा अर्थ है पार्षद से लेकर लोकसभा चुनावो में शिवपुरी के प्यासे कंठो का मुददा हावी रहता है।
पिछले दस साल से सिंध आने का सपना शहर देख रहा हैं। शहर में कई कॉलोनी में सिंध के कनेक्शन भी होना शुरू हो गए। जिनके कनेक्शन हो गए हैं उनके नलो से पानी नही आ रहा हैं। इस लॉकडाउन में भी लोग पानी के लिए पानी के बर्तन लेकर सडको पर उतर रहे हैं।
फिलहाल पानी के लिए लोग लॉक डाउन का उल्लंघन करने को मजबूर हैं। हालात ये हैं कि लोगों को पीने के पानी तक की मुश्किल हो रही है और लोग कुएं से डिब्बे-बाल्टियों में पानी भरकर लेकर जाते हुए नजर आ रहे हैं।क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग सभी को पानी की जरूरत है यही वजह है कि सभी अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से पानी भरते नजर आ रहे हैं।
मीट मार्केट रोड निवास करने वाले एक 60 वर्षीय वृददा का कहना है कि केवल 10 मिनिट नल आते हैं। वे भी निरतंर नही आते हैं। विशाल सेजवार ने कहा कि हमे इस कुंए से 12 महिने पानी भरना पडता हैं,वही राजकुमार सेजवार का कहना हैं कि हमारा अधिक समय इस कुंए पर गुजर जाता है। यहां अधिक भीड भी हो जाती हैं।