एक्सरे@ललित मुदगल शिवपुरी। ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह मप्र शासन पर राज्य कर रही है स्मार्ट चिप कंपनी,इसके अतिरिक्त हाईकोर्ट के आदेश का पालन भी नही कर रही हैं,लगातार यह कंपनी मप्र के लोगो को लूट रही हैं और सरकार को भी चूना लगा रही हैं। कंपनी का अनुबंध खत्म हो जाने के बाद भी परिवहन विभाग पर कब्जा कर रखा हैं,विभाग क्यो इस कंपनी की गुलामी से मुक्त नही हो पा रहा हैं आईए इस पूरे मामले का एक्सरे करते हैं।
मप्र शासन का कमाउ पूत विभाग परिवहन विभाग ने अपनी और पब्लिक की सुविधा के लिए अपना काम आनलाईन शुरू किया था,विभाग की सेवाए जैसे ड्राइविंग लाइसेंस,वहानो के रजिस्ट्रेशन,परमिट,फिटनेस,फीस और टेक्स जमा करना और आनलाईन आवेदन जैसी सेवाओ के लिए विभाग को कंप्यूटीकरण करने के लिए एक प्राईवेट कंपनी स्मार्टचिप प्राईवेट लिमिटेड को ठेका दिया था।
विभाग ओर कंपनी का अनुबंध सन 2013 से 2018 तक हुआ था। यह अनुबंध कंपनी और सरकार के बीच 5 साल का हुआ था। कंपनी और सरकार के बीच यह अनुबंध था कि विभाग के ड्राइविंग लाइसेंस,यानो के रजिस्ट्रेशन,परमिट,फिटनेस जैसी सेवाओ के लिए सरकार कंपनी को पैसा देगी और टैक्स भुगतान सेवा और आनलाईन एप्लिकेशन सेवा के लिए कंपनी सीधे जनता से उपभोक्ता से सर्विस चार्ज 70 रूपए वसूलने का अधिकार दिया था।
अनुबंध 5 साल का हुआ था,लेकिन कंपनी सरकार और जनता से अभी भी वसूली कर रही हैं। सेवाकाल का समय समाप्त होने के बाद भी कंपनी की सेवा क्यो समाप्त नही की गई यह एक बडा सवाल खडा हैं।
सन 2014 में एक शिकायतकर्ता ने शिकायत की थी कि स्मार्ट कंपनी चिप सरकार और पब्लिक से कितना पैसा वसूल चुकी हैं इसका कितना हिसाब है और यह उसका नियमानुसार टैकस भर रही हैं कि नही। सरकार ने जब स्मार्ट कंपनी से हिसाब मांगा तो उसने नही दिया और प्रेशर बनाया तो कंपनी हाईकोर्ट चली गई। हाईकोर्ट ने कंपनी तो लताड लगाई की हिसाब देा,लेकिन कंपनी ने आज तक हिसाब नही दिया।
विधानसभा में यह मामला उठाया गया था सरकार जबाब नही दे पाई की कंपनी ने कितना पैसा कमाया हैं। सरकार इस कंपनी से हिसाब नही ले पा रही हैं तो दूसरी ओर कंपनी ने विभाग पर ही कब्जा कर रखा हैं बिना किसी अनुबंध के कंपनी अभी भी कैसे काम कर रही हैं।
इस मामले में शिवपुरी के एक जागरूक पत्रकार विजय शर्मा ने सीएम हैल्पलाईन पर शिकायत दर्ज कराई थी कि
मध्यप्रदेश परिवहन विभाग द्वारा दिनांक 05 दिसम्बर 2013 को अधिसूचना क्रमांक 536 के द्वारा प्राइवेट कंपनी स्मार्टचिप लिमिटेड ऑनलाइन टैक्स पेमेंट सिस्टम ओर वेब आधारित ऑनलाइन आवेदन सुविधा के प्रयोग पर उपभोक्ता प्रभार वसूलेगी । उसमे स्पष्ट लिखा था कि यह दरें अधिसूचना प्रभावी होने के 5 वर्ष य अनुवंध समाप्ति जो भी पहले हो तक के लिए वैध रहेंगी । दिनांक 07-09-2019 को पांच वर्ष पूर्ण हो गए है । उक्त कंपनी अभी तक अधिसूचना में वर्णित दरों पर उपभोक्ता प्रभार वसूल कर रही हैं। शिकायत को सीधे अर्थो में करते हैं कि कंपनी ओर विभाग का 5 साल का अनुबंध हुआ था,लेकिन वर्तमान समय में किस आधार पर कंपनी पब्लिक से वसूली कर रही हैं।
इस शिकायत का परिणाम यह रहा
इस शिकायत पर लेवल 1 अधिकारी द्वारा यह निराकरण किया
मेसर्स स्मार्ट चिप लिमिटेट एवं परिवहन विभाग के मध्य दिनांक 27.09.13 को निष्पादित अनुबंध के क्लॉज 9.5 में प्रावधानित है, कि परियोजना की अवधि के 4 वर्ष पूरा होने के पश्चात परिवहन विभाग द्वारा इसी उद्देश्य के लिये गठित समिति की सिफारिश के आधार पर अनुबंध का विस्तार 5 वर्ष के लिये किया जावेगा।
सुलभ संदर्भ हेतु अनुबंध के क्लॉज 9.5 की छायाप्रति संलग्न है। अनुबंध के क्लॉज 9.5 के अनुक्रम में कम्पनी के अनुबंध को आगामी 05 वर्ष की अवधि के विस्तारण पर विचारण हेतु परिवहन आयुक्त कार्यालय के पत्र क्रमांक 3369/प्रर्व-स्मार्ट चिप/टीसी/2019 ग्वालियर दिनांक 15.07.19 द्वारा तकनीकी समिति का अभिमत शासन को प्रेषित किया गया है। प्रकरण शासन स्तर पर लंबित है। कुल मिलाकर क्लोज नंबर 9.5 के आधार कंपनी का काम अभी भी प्रभावी हैं ऐसा जांच अधिकारी ने बताया।
यह है अनुबंध का क्लोज नंबर 9.5
क्लोज नंबर 9.5 में स्पष्ट लिखा है कि अनुबंध की अवधि 5 वर्ष की होगी जो अनुबंध पर हुए हस्ताक्षर दिनांक से प्रारम्भ हो जाएगी । और जब अनुबंध को 4 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे तब परिवहन विभाग द्वारा एक तकनीकी समिति का गठन किया जाएगा जो कंपनी के कामकाज का आकलन कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौपेंगी।
जिसके आधार पर इस कंपनी को आगे 5 वर्ष का कार्यकाल विस्तारण प्रदान करना है या नए सिरे से टेंडर बुलाये जाना है यह तय किया जायेगा । इस क्लोज में यह भी लिखा है कि यदि शासन कार्यकाल विस्तारण पर कोई निर्णय नही ले पाता है और 5 वर्ष पूरे हो जाते है तो परिवहन विभाग अस्थाई तौर पर अधिकतम 6 माह का कार्यकाल विस्तार (एक्सटेंशन )कंपनी को प्रदान कर सकेगा।
सीधे—सीधे शब्दो में लिखा हैं कि क्लोज नंबर 9.5 में जिसे दिन से अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए हैं,उस दिन से कार्य करने की अवधि शुरू हो जाऐगी। अनुबंध पर हस्ताक्षर 29 सिंतबर 2013 के दिन हुए हैं,नियमानुसार अनुबंध 28 सितंबर 2018 को समाप्त हो गया।
अनुबंध समाप्ति के एक वर्ष पूर्व तकनीकी समिति का गठन होना था। जिसे अनुबंध समाप्त होने से पहले अपनी रिपोर्ट शासन को देनी थी । उस समिति ने भी अपनी रिपोर्ट अनुबंध समाप्त होने के 10 माह बाद शासन को भेजी,ये भी स्थिति संदेहजनक हैं।ओर यदि क्लोज नंबर 9.5 के अनुसार यदि कंपनी को 6 माह का अस्थाई कार्यकाल विस्तार दिया जाता है तो वह भी सितंबर 201 8 से फरवरी 2019 में समाप्त हो गया ।
इन सभी बातों को ध्यान रख कर शिकायतकर्ता विजय शर्मा ने लेवल 1 के अधिकारी के निराकरण को अस्वीकार कर अपनी असहमति प्रकट की । जिस पर सीएम हेल्पलाइन ने शिकायत लेवल 2 अधिकारी के पास भेज दी। लेकिन लेवल 2 अधिकारी द्वारा समयसीमा में शिकायत पर कोई कार्यवाही न करने सीएम हेल्पलाइन द्वारा शिकायत को लेवल 3 अधिकारी के पास भेजा गया।
लेवल 3 अधिकारी ने भी शिकायत का वही निराकरण किया जो लेवल 1 अधिकारी द्वारा किया गया था । सबसे बड़ी बात ये है कि इस निराकरण पर शिकायतकर्ता की सहमति लेना भी उचित नही समझा गया । बिना सहमति के शिकायत को बन्द कर दिया गया।
कुल मिलाकर कंपनी के टूकडो में इतनी ताकत हैं कि वह विधानसभा में भी अपनी किरकिरी करा चुकी हैं। हाईकोर्ट के ओदश को भी अमल नही करा पा रही हैं। विभाग के अधिकारी सब जानते हैंं कि कंपनी अब नियमविरूद्ध् कार्य कर रही हैं। सरकार को भी लूट रही हैं और जनता को भी।
अब सवाल यह उठता हैं कि कंपनी ने विभाग पर किस ताकत के बल पर अपना गुलाम बना रखा हैं,कंपनी की ताकत को आप सभी समझते हैं कि जमकर परिवहन के अधिकारियो के द्धवारा वसूली की जा रही हैं। इस कारण ही विभाग पर कंपनी का कब्जा हैं और कंपनी के द्धवारा फैकी जा रही रिश्वत के कारण ही कंपनी ने विभाग को अपना गुलाम बना रखा हैंं।
इन सब बातों से ये ही सिद्ध होता है कि कोई तो मजबूरी है मध्यप्रदेश सरकार की , जो एक प्राइवेट कंपनी की गुलामी करने को मजबूर है।समय पर सभी को अपना हिस्सा मिल रहा होगा तभी शायद कोई भी इस कंपनी पर कार्यवाही करने तैयार नही है।
मप्र शासन का कमाउ पूत विभाग परिवहन विभाग ने अपनी और पब्लिक की सुविधा के लिए अपना काम आनलाईन शुरू किया था,विभाग की सेवाए जैसे ड्राइविंग लाइसेंस,वहानो के रजिस्ट्रेशन,परमिट,फिटनेस,फीस और टेक्स जमा करना और आनलाईन आवेदन जैसी सेवाओ के लिए विभाग को कंप्यूटीकरण करने के लिए एक प्राईवेट कंपनी स्मार्टचिप प्राईवेट लिमिटेड को ठेका दिया था।
विभाग ओर कंपनी का अनुबंध सन 2013 से 2018 तक हुआ था। यह अनुबंध कंपनी और सरकार के बीच 5 साल का हुआ था। कंपनी और सरकार के बीच यह अनुबंध था कि विभाग के ड्राइविंग लाइसेंस,यानो के रजिस्ट्रेशन,परमिट,फिटनेस जैसी सेवाओ के लिए सरकार कंपनी को पैसा देगी और टैक्स भुगतान सेवा और आनलाईन एप्लिकेशन सेवा के लिए कंपनी सीधे जनता से उपभोक्ता से सर्विस चार्ज 70 रूपए वसूलने का अधिकार दिया था।
अनुबंध 5 साल का हुआ था,लेकिन कंपनी सरकार और जनता से अभी भी वसूली कर रही हैं। सेवाकाल का समय समाप्त होने के बाद भी कंपनी की सेवा क्यो समाप्त नही की गई यह एक बडा सवाल खडा हैं।
सन 2014 में एक शिकायतकर्ता ने शिकायत की थी कि स्मार्ट कंपनी चिप सरकार और पब्लिक से कितना पैसा वसूल चुकी हैं इसका कितना हिसाब है और यह उसका नियमानुसार टैकस भर रही हैं कि नही। सरकार ने जब स्मार्ट कंपनी से हिसाब मांगा तो उसने नही दिया और प्रेशर बनाया तो कंपनी हाईकोर्ट चली गई। हाईकोर्ट ने कंपनी तो लताड लगाई की हिसाब देा,लेकिन कंपनी ने आज तक हिसाब नही दिया।
विधानसभा में यह मामला उठाया गया था सरकार जबाब नही दे पाई की कंपनी ने कितना पैसा कमाया हैं। सरकार इस कंपनी से हिसाब नही ले पा रही हैं तो दूसरी ओर कंपनी ने विभाग पर ही कब्जा कर रखा हैं बिना किसी अनुबंध के कंपनी अभी भी कैसे काम कर रही हैं।
इस मामले में शिवपुरी के एक जागरूक पत्रकार विजय शर्मा ने सीएम हैल्पलाईन पर शिकायत दर्ज कराई थी कि
मध्यप्रदेश परिवहन विभाग द्वारा दिनांक 05 दिसम्बर 2013 को अधिसूचना क्रमांक 536 के द्वारा प्राइवेट कंपनी स्मार्टचिप लिमिटेड ऑनलाइन टैक्स पेमेंट सिस्टम ओर वेब आधारित ऑनलाइन आवेदन सुविधा के प्रयोग पर उपभोक्ता प्रभार वसूलेगी । उसमे स्पष्ट लिखा था कि यह दरें अधिसूचना प्रभावी होने के 5 वर्ष य अनुवंध समाप्ति जो भी पहले हो तक के लिए वैध रहेंगी । दिनांक 07-09-2019 को पांच वर्ष पूर्ण हो गए है । उक्त कंपनी अभी तक अधिसूचना में वर्णित दरों पर उपभोक्ता प्रभार वसूल कर रही हैं। शिकायत को सीधे अर्थो में करते हैं कि कंपनी ओर विभाग का 5 साल का अनुबंध हुआ था,लेकिन वर्तमान समय में किस आधार पर कंपनी पब्लिक से वसूली कर रही हैं।
इस शिकायत का परिणाम यह रहा
इस शिकायत पर लेवल 1 अधिकारी द्वारा यह निराकरण किया
मेसर्स स्मार्ट चिप लिमिटेट एवं परिवहन विभाग के मध्य दिनांक 27.09.13 को निष्पादित अनुबंध के क्लॉज 9.5 में प्रावधानित है, कि परियोजना की अवधि के 4 वर्ष पूरा होने के पश्चात परिवहन विभाग द्वारा इसी उद्देश्य के लिये गठित समिति की सिफारिश के आधार पर अनुबंध का विस्तार 5 वर्ष के लिये किया जावेगा।
सुलभ संदर्भ हेतु अनुबंध के क्लॉज 9.5 की छायाप्रति संलग्न है। अनुबंध के क्लॉज 9.5 के अनुक्रम में कम्पनी के अनुबंध को आगामी 05 वर्ष की अवधि के विस्तारण पर विचारण हेतु परिवहन आयुक्त कार्यालय के पत्र क्रमांक 3369/प्रर्व-स्मार्ट चिप/टीसी/2019 ग्वालियर दिनांक 15.07.19 द्वारा तकनीकी समिति का अभिमत शासन को प्रेषित किया गया है। प्रकरण शासन स्तर पर लंबित है। कुल मिलाकर क्लोज नंबर 9.5 के आधार कंपनी का काम अभी भी प्रभावी हैं ऐसा जांच अधिकारी ने बताया।
यह है अनुबंध का क्लोज नंबर 9.5
क्लोज नंबर 9.5 में स्पष्ट लिखा है कि अनुबंध की अवधि 5 वर्ष की होगी जो अनुबंध पर हुए हस्ताक्षर दिनांक से प्रारम्भ हो जाएगी । और जब अनुबंध को 4 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे तब परिवहन विभाग द्वारा एक तकनीकी समिति का गठन किया जाएगा जो कंपनी के कामकाज का आकलन कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौपेंगी।
जिसके आधार पर इस कंपनी को आगे 5 वर्ष का कार्यकाल विस्तारण प्रदान करना है या नए सिरे से टेंडर बुलाये जाना है यह तय किया जायेगा । इस क्लोज में यह भी लिखा है कि यदि शासन कार्यकाल विस्तारण पर कोई निर्णय नही ले पाता है और 5 वर्ष पूरे हो जाते है तो परिवहन विभाग अस्थाई तौर पर अधिकतम 6 माह का कार्यकाल विस्तार (एक्सटेंशन )कंपनी को प्रदान कर सकेगा।
सीधे—सीधे शब्दो में लिखा हैं कि क्लोज नंबर 9.5 में जिसे दिन से अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए हैं,उस दिन से कार्य करने की अवधि शुरू हो जाऐगी। अनुबंध पर हस्ताक्षर 29 सिंतबर 2013 के दिन हुए हैं,नियमानुसार अनुबंध 28 सितंबर 2018 को समाप्त हो गया।
अनुबंध समाप्ति के एक वर्ष पूर्व तकनीकी समिति का गठन होना था। जिसे अनुबंध समाप्त होने से पहले अपनी रिपोर्ट शासन को देनी थी । उस समिति ने भी अपनी रिपोर्ट अनुबंध समाप्त होने के 10 माह बाद शासन को भेजी,ये भी स्थिति संदेहजनक हैं।ओर यदि क्लोज नंबर 9.5 के अनुसार यदि कंपनी को 6 माह का अस्थाई कार्यकाल विस्तार दिया जाता है तो वह भी सितंबर 201 8 से फरवरी 2019 में समाप्त हो गया ।
इन सभी बातों को ध्यान रख कर शिकायतकर्ता विजय शर्मा ने लेवल 1 के अधिकारी के निराकरण को अस्वीकार कर अपनी असहमति प्रकट की । जिस पर सीएम हेल्पलाइन ने शिकायत लेवल 2 अधिकारी के पास भेज दी। लेकिन लेवल 2 अधिकारी द्वारा समयसीमा में शिकायत पर कोई कार्यवाही न करने सीएम हेल्पलाइन द्वारा शिकायत को लेवल 3 अधिकारी के पास भेजा गया।
लेवल 3 अधिकारी ने भी शिकायत का वही निराकरण किया जो लेवल 1 अधिकारी द्वारा किया गया था । सबसे बड़ी बात ये है कि इस निराकरण पर शिकायतकर्ता की सहमति लेना भी उचित नही समझा गया । बिना सहमति के शिकायत को बन्द कर दिया गया।
कुल मिलाकर कंपनी के टूकडो में इतनी ताकत हैं कि वह विधानसभा में भी अपनी किरकिरी करा चुकी हैं। हाईकोर्ट के ओदश को भी अमल नही करा पा रही हैं। विभाग के अधिकारी सब जानते हैंं कि कंपनी अब नियमविरूद्ध् कार्य कर रही हैं। सरकार को भी लूट रही हैं और जनता को भी।
अब सवाल यह उठता हैं कि कंपनी ने विभाग पर किस ताकत के बल पर अपना गुलाम बना रखा हैं,कंपनी की ताकत को आप सभी समझते हैं कि जमकर परिवहन के अधिकारियो के द्धवारा वसूली की जा रही हैं। इस कारण ही विभाग पर कंपनी का कब्जा हैं और कंपनी के द्धवारा फैकी जा रही रिश्वत के कारण ही कंपनी ने विभाग को अपना गुलाम बना रखा हैंं।
इन सब बातों से ये ही सिद्ध होता है कि कोई तो मजबूरी है मध्यप्रदेश सरकार की , जो एक प्राइवेट कंपनी की गुलामी करने को मजबूर है।समय पर सभी को अपना हिस्सा मिल रहा होगा तभी शायद कोई भी इस कंपनी पर कार्यवाही करने तैयार नही है।