गिर्राज शर्मा@ शिवपुरी। खबर शहर के मध्य नगर पालिका कार्यालय के जस्ट सामने स्थिति पोलो ग्राउण्ड से आ रही है। जहां जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते इन दिनो पोलो ग्राउण्ड की सुरक्षा बाउंड्री खंडर होने के कगार पर हैं। हर रोज करीब 500 से 600 प्लेयर मैदान पर प्रैटिस करने करने आते हैं, जिनके लिए सुविधाएं सिर्फ ना के बराबर रह गई हैं। मैदान मे ना ही पेयजल है और न ही शोचालय की।
हालात यह है कि खिलाडियों को पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पडता है, खुले में टाईलेट करना पड रहा है। इतना ही नही मैदान में बैठने लिए जो जगह बनी है, उसकी पटीया और खण्डे एक—एक कर गायव होते जा रहे हैं।यहां हालात यह हैं कि यह आने वाली महिला खिलाडियो के लिए आज तक जिम्मेदार जनसुविधा तक उपलब्ध नही करा पाए हैं।
खेल मैदान की यह बदहाल हालत बहुत समय से है लेकिन देख—रेख कर्ताओं ने अपनी सब कुछ जानते हुए भी आंखें बंद कर ली हैं। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि मैदान जिले के न्यायालय यानी कलेंक्ट्रेट और नगर पालिका के जस्ट सामनें है। यहां अगर मुहावरे का उदाहरण दे कि बिल्कुल दिए के नीचे अंधेरा जैसा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।
मैदान के हाल की हालत पर बात करें तों मैदान के एक कोने पर कचरे का डेर लगा हुआ है, कचरा फैकने के लिए डस्टबिन की व्यवस्था नहीं है। एक शौचालय बना है जिसका निर्माण नपा शिवपुरी ने कराया है उस पर ताला लगा हैं पता नही ऐसा क्या छूपा कर रखा है नपा ने जो उसका ताला नही खोल रही हैं।
यहां नगर पालिका ने एक चलित शौचालय भी लगा रखा है। परंतु उसकी भी हालात यह है कि वह मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को सरेआम ठेंगा दिखा रहा है। कुल मिलाकर वह भी अन्त की कगार पर है।
जब शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने मौके पर जाकर देखा तो यहां हालात यह मिली कि जहां बैठने की व्यवस्था थी वहां से पूरा प्लेटफार्म उखडा हुआ मिला। यह खेल मैदान कम मयखाना ज्यादा दिखाई दिया। हालात यह कि पूरे मैदान में यहां वहां शराब की बोलते मिली। यह पहला मामला नहीं है अपितु यहां हालात यह है कि खबर प्रकाशन के महज कुछ दिनों तक तो यहां पुलिस रात्रि में पहुंचती है। परंतु उसके बाद इसे भूल जाती है।
यहां हालात यह है कि मैदान के बीच जो अभी हाल ही में स्टेज पर टाईल्स लगाई गई है वह भी उखड गई है। यहां नगर पालिका ने लाखों रूपए खर्च कर पेड तो लगाए है। परंतु यहां गुणवत्ता विहीन लगे ट्री गार्डों के बीच पेड खत्म होते जा रहे है। प्रशासन का उदासीन नजरिया यह हैं कि इस मैदान पर राष्ट्रीय और स्टैट लेवल के गेम होते हैं,लेकिन सुविधा गांव लेवल की नही हैं।