नपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्चास, उपाध्यक्ष बोले, भ्रष्टाचार पर मोहर नहीं लगाएंगे | Shivpuri news

Bhopal Samachar

शिवपुरी। नगर पालिका के पिछले पांच साल के कार्यकाल पर आज परिषद की बैठक में नपा उपाध्यक्ष और अन्य पार्षदों ने प्रश्रचिन्ह खड़ा कर दिया। बैठक में पूरे समय नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह के खिलाफ अविश्वास का माहौल बना रहा। पार्षदों ने एक-एक कर उनपर निशाना साधा जिनमें मुख्य रूप से नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा, कांग्रेसी पार्षद आकाश शर्मा और भाजपा पार्षद भानू दुबे मुख्य थे। बैठक में कलई खुली कि ऐसे प्रस्तावों पर मंजूरी दिलाने की योजना थी, जो पार्षदों के संज्ञान में नहीं थे।

पीआईसी के उन प्रस्तावों पर परिषद की स्वीकृति ली जा रही थी। जिनके एजेंडे और ठहराव की पार्षदों को कोई जानकारी नहीं थी। खास बात यह है कि 2020-21 के लिए 10 करोड़ के प्रस्तावों पर स्वीकृति लेने की भी योजना थी, जिसे भांपकर पार्षदों ने अपनी सहमति दर्ज कराने से इंकार कर दिया। नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा ने इस बावत मुख्य नगर पालिका अधिकारी को पत्र लिखकर बिंदूबार अपनी आपत्ति दर्ज कराई।

वहीं बैठक की प्रोसेडिंग पर भानु दुबे और आकाश शर्मा सहित अन्य पार्षदों ने अपनी असहमति जाहिर की। पार्षदों के समवेद स्वर में विरोध का परिणाम यह हुआ कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी केके पटेरिया ने भी उनकी बात से सहमति व्यक्त की और कहा कि जब परिषद का कार्यकाल पूर्ण हो रहा है तो उसे 2020-21 के लिए 10 करोड़ रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति लेने की जरूरत क्या है।

स्वीकृति लेने का अधिकार उस समय के प्रशासक के पास सुरक्षित है। पीआईसी के एजेंडे और ठहराव के बारे में भी उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी देने के बाद ही परिषद की मंजूरी ली जाएगी। इसी बीच नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह अपना बचाव करते नजर आए और कहा कि मैं तो शहर के विकास की बात कर रहा हूं।

आज की परिषद की बैठक में मुख्य रूप से दो बिंदु थे। एक तो पीआईसी के पारित प्रस्तावों की परिषद से पुष्टि कराना और दूसरे वर्ष 2020-21 के लिए 10 करोड़ रूपए के प्रशासकीय कार्यो की स्वीकृति लेना। बैठक में पार्षद आकाश शर्मा खुलकर नपा प्रशासन के खिलाफ बोले। उन्होंने कहा कि ऐसा काम मत करवाओ, जिससे हमें जेल जाना पड़े। उन्होंने अध्यक्ष की ओर निशाना साधते हुए कहा कि उनका दायित्व है कि वह पारदर्शिता रखें, लेकिन यह पारदर्शिता नहीं रखी जा रही।

पीआईसी के ऐसे प्रस्तावों की हमसे स्वीकृति ली जा रही है। जिनका पार्षदों को पता नहीं है और यह भी पता नहीं है कि बैठक हुई अथवा नहीं और हुई है तो कहां हुई है। इसके बाद भाजपा पार्षद भानु दुबे ने मोर्चा संभाला और उन्होंने सीएमओ से पूछा कि वह बताएं पीआईसी की बैठक कहां हुई। इस पर सीएमओ ने कहा कि पीआईसी की बैठक नपा कार्यालय में हुई। इस पर श्री दुबे ने कहा कि कार्यालय में सीसीटीव्ही कैमरे लगे हैं और जाहिर होता है कि वहां बैठक नहीं हुई।

उन्होंने सीएमओ से कहा कि ज्यादा गहराई में जाओगे तो फस जाओगे। उनका समर्थन नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा ने भी किया। श्री शर्मा ने निशाना साधते हुए कहा कि बिगत पांच वर्षो में नियमों को ताक पर रखकर कार्य किए गए हैं, जो स्वयं के आर्थिक लाभ के लिए एवं भ्रष्टाचार की श्रेणी में आते हैं। ऐसे कार्यो की स्वीकृति हमारी परिषद से मांगी जा रही है।

जबकि पूर्व में भी उक्त बिंदु को परिषद के एजेंडे से हटा दिया गया था। परिषद ने उन्हें स्वीकृति देने से यह कहते हुए मना कर िदिया था कि पहले पीआईसी में जो भी कार्य किए गए, उनकी सूची परिषद को प्रदान की जाए, जो आज तक प्रदान नहीं की गई। ऐेसे में पीआईसी के किए गए कार्यो की पुष्टि किए जाना गलत होगा। श्री शर्मा ने आरोप लगाया कि पीआईसी ने भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं तोड़ दी हैं, चाहे वह मामले मनियर तालाब की खुदाई का हो या गंदे नाले की सफाई, न तो तालाब की खुदाई हुई और न ही नाले की सफाई, जेबें अवश्य भरी गई।

प्रकाश व्यवस्था के नाम पर बजट ठिकाने लगा दिया गया। हाई मास्ट तो लगे नहीं, नगर में अंधेरा छाया रहा और बेंच खरीदी में भी भ्रष्टाचार का बोल बाला रहा। पार्षदों के तेवर देखकर यह तय किया गया कि बैठक निरस्त की जाती है और अगली बैठक में पूरी पारदर्शिता बरतकर पीआईसी के ठहरावों की पार्षदों को जानकारी दी जाएगी।

महिला पार्षदों को नहीं बोलने दिया गया : नपाध्यक्ष कुशवाह
परिषद में नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह नगर पालिका के भ्रष्टाचार के बारे में कोई समाधान कारक सफाई पेश नहीं कर सके। लेकिन उन्होंने उन पर हमला करने वाले पार्षदों पर निशाना साधते हुए कहा कि वह परिषद में आकर माहौल खराब करते हैं। किसी को बोलने नहीं देते, यहां तक कि परिषद में 20 महिला पार्षद हैं लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया जाता।