शिवपुरी। न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम शिवपुरी के अध्यक्ष गौरीशंकर दुवे एवं सदस्य राजीव कृष्ण शर्मा ने एक महत्वपूर्ण जनहित निर्णय पारित करते हुए अभिनिर्धारित किया कि उपभोक्ता खाता एनपीए हो जाने की स्थिति में संबंधित वित्तीय संस्था बैंक को ऋण राशि वसूली करने का अधिकार प्राप्त है।
प्रकरण में संक्षिप्त में आवेदक सुनील कुमार शिवहरे पुत्र प्रकाशचन्द्र शिवहरे निवासी- ग्राम व पोस्ट छर्च, तह. पोहरी, जिला शिवपुरी द्वारा भारतीय स्टैट बैंक शाखा-पोहरी, जिला शिवपुरी के विरूद्ध एक शिकायत इस आशय की प्रस्तुत की थी कि बैंक द्वारा प्रदाय किए गए शिक्षा ऋण में कम राशि प्रदाय की गई है तथा ऋण पर लगने वाले ब्याज अनुदान को प्रदाय नही किया गया है। इस कारण शेष ऋण अदायगी की अनुमति बावत शिकायत प्रस्तुत की गई थी।
आवेदक द्वारा अनावेदक बैंक शाखा से बीएएमएस साढ़े पांच वर्षीय डिग्री डिप्लोमा कोर्स प्राप्त करने के लिए शिक्षा ऋण 3,75,000/- रुपये प्राप्त किया था। आवेदक द्वारा अपनी शिकायत व्यक्त किया कि अनावेदक बैंक ने शिक्षा ग्रहण स्थगन अवधि का लाभ नही लिया है इस कारण आवेदक को सहायता दिलाई जावे। अनावेदक बैंक की ओर से अधिवक्ता संजीव बिलगैयाँ द्वारा व्यक्त किया गया कि भारत सरकार की ऋण योजना तथा छात्रों को ऋण पर ब्याज की सुविधा का दायित्व अनावेदक बैंक का नही है।
ब्याज की राशि अदायगी नोडल बैंक द्वारा सरकार के माध्यम से अनावेदक बैंक के यहां स्थित उपभोक्ता के ऋण खाते में जमा करने का प्रावधान है। आवेदक का ऋण खाता एनपीए हो गया है। उसके द्वारा कोई भी ऋण राशि को वापिस जमा नही किया है। आवेदक के ऊपर 5,65,504/- रु. वसूली बकाया है। माननीय जिला उपभोक्ता फोरम शिवपुरी द्वारा उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों तथा साक्ष्य का सूक्ष्मता से अवलोकन कर निर्धारित किया कि आवेदक को अनुदान के रूप में शासन सेस कुल 2,18,118/- रु. का भुगतान हुआ है।
आवेदक ने वर्ष 2010 में ऋण लिया था और 2016 में उसकी शिक्षा पूर्ण हो चुकी है। अनुबंध और स्कीम के अनुसार शिक्षा पूर्ण होने के एक वर्ष के बाद अथवा सेवा में नियुक्त हो जाने के 6 माह इनमें जो भी पहले हो ऋण चुकाना प्रारम्भ करना अनिवार्य होता है। आवेदक द्वारा ऋण स्वीकृत हो जाने के 9 वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी ऋण की राशि अदा करना प्रारम्भ नही की है। इस कारण आवेदक का खाता एनपीए हो गया है। इस संबंध में माननीय नेशनल उपभोक्ता आयोग का न्याय दृष्टांत स्टैट बैंक ऑफ पटियाला बनाम सबिन्दर पाल सिंह अवलोकनीय है।
जिसके अनुसार अनावेदक बैंक को आवेदक से उक्त ऋण की राशि वसूल करने का अधिकार होना पाया जाता है। आवेदक की शिकायत निरस्त की जाती है। अनावेदक भारतीय स्टैट बैंक की ओर से पैरवी संजीव बिलगैयाँ अधिवक्ता द्वारा की गई है।
प्रकरण में संक्षिप्त में आवेदक सुनील कुमार शिवहरे पुत्र प्रकाशचन्द्र शिवहरे निवासी- ग्राम व पोस्ट छर्च, तह. पोहरी, जिला शिवपुरी द्वारा भारतीय स्टैट बैंक शाखा-पोहरी, जिला शिवपुरी के विरूद्ध एक शिकायत इस आशय की प्रस्तुत की थी कि बैंक द्वारा प्रदाय किए गए शिक्षा ऋण में कम राशि प्रदाय की गई है तथा ऋण पर लगने वाले ब्याज अनुदान को प्रदाय नही किया गया है। इस कारण शेष ऋण अदायगी की अनुमति बावत शिकायत प्रस्तुत की गई थी।
आवेदक द्वारा अनावेदक बैंक शाखा से बीएएमएस साढ़े पांच वर्षीय डिग्री डिप्लोमा कोर्स प्राप्त करने के लिए शिक्षा ऋण 3,75,000/- रुपये प्राप्त किया था। आवेदक द्वारा अपनी शिकायत व्यक्त किया कि अनावेदक बैंक ने शिक्षा ग्रहण स्थगन अवधि का लाभ नही लिया है इस कारण आवेदक को सहायता दिलाई जावे। अनावेदक बैंक की ओर से अधिवक्ता संजीव बिलगैयाँ द्वारा व्यक्त किया गया कि भारत सरकार की ऋण योजना तथा छात्रों को ऋण पर ब्याज की सुविधा का दायित्व अनावेदक बैंक का नही है।
ब्याज की राशि अदायगी नोडल बैंक द्वारा सरकार के माध्यम से अनावेदक बैंक के यहां स्थित उपभोक्ता के ऋण खाते में जमा करने का प्रावधान है। आवेदक का ऋण खाता एनपीए हो गया है। उसके द्वारा कोई भी ऋण राशि को वापिस जमा नही किया है। आवेदक के ऊपर 5,65,504/- रु. वसूली बकाया है। माननीय जिला उपभोक्ता फोरम शिवपुरी द्वारा उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों तथा साक्ष्य का सूक्ष्मता से अवलोकन कर निर्धारित किया कि आवेदक को अनुदान के रूप में शासन सेस कुल 2,18,118/- रु. का भुगतान हुआ है।
आवेदक ने वर्ष 2010 में ऋण लिया था और 2016 में उसकी शिक्षा पूर्ण हो चुकी है। अनुबंध और स्कीम के अनुसार शिक्षा पूर्ण होने के एक वर्ष के बाद अथवा सेवा में नियुक्त हो जाने के 6 माह इनमें जो भी पहले हो ऋण चुकाना प्रारम्भ करना अनिवार्य होता है। आवेदक द्वारा ऋण स्वीकृत हो जाने के 9 वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी ऋण की राशि अदा करना प्रारम्भ नही की है। इस कारण आवेदक का खाता एनपीए हो गया है। इस संबंध में माननीय नेशनल उपभोक्ता आयोग का न्याय दृष्टांत स्टैट बैंक ऑफ पटियाला बनाम सबिन्दर पाल सिंह अवलोकनीय है।
जिसके अनुसार अनावेदक बैंक को आवेदक से उक्त ऋण की राशि वसूल करने का अधिकार होना पाया जाता है। आवेदक की शिकायत निरस्त की जाती है। अनावेदक भारतीय स्टैट बैंक की ओर से पैरवी संजीव बिलगैयाँ अधिवक्ता द्वारा की गई है।