शिवपुरी। शासकीय चिकित्सालय में आम नागरिकों को नि:शुल्क और उचित उपचार उपलब्ध हो इसके लिए प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास करने में लगी हुई हैं। लेकिन पोहरी विधानसभा क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बैराड़ में कुछ दिन पूर्व ही पदस्थ हुए डॉक्टर सरकार की मंशा को विपरीत कार्य करते हुए मरीजों से उपचार के नाम पर वार्डवाय जितेन्द्र गौर के माध्यम से अवैध बसूली करने में लगे हुए हैं। बताया गया है कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से उपचार के लिए स्वास्थ्य केन्द्र पर आने वाले गरीब हरिजन, आदिवासी एवं अन्य समाज के लोगों को वार्डवाय डॉ. के निवास पर भेजता हैं जहां डॉक्टर द्वारा परामर्श के नाम पर 200 रूपए शुल्क बसूल कर बाजार से दवाईयां खरीदने के लिए पर्चे थमा दिया जाता हैं।
इतना ही नहीं दुर्घटना में घायल होकर आने वाले लोगों से उपचार और एमएलसी के नाम पर भी बसूली की जाती हैं। यदि घायल व्यक्तियों द्वारा डॉक्टर को मांग के मुताबिक रूपए नहीं दिए तब उस व्यक्ति को या तो शिवपुरी जिला चिकित्सालय रैफर कर दिया जाता हैं या फिर उसे तड़पने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ डॉक्टर अपने आपको रिटार्ड फौजी कह कर भी लोगों लताड़ देता हैं। वार्डवाय जितेन्द्र गौर अपने आपको किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से कम नहीं आंकता। वह अपने मूल काम को छोडक़र स्वास्थ्य केन्द्र पर डॉक्टर की भूमिका में आकर मरीजों से रूपए ऐंठ कर उनका इलाज करता देखा गया है।
वार्डवाय इससे पूर्व पोहरी स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ था यहां रहते हुए वह अवैध बसूली और मरीजों के साथ किए जाने वाले अभद्र व्यवहार के चलते बीएमओ की शिकायत पर स्थानांतरण खनियांधाना किया गया था, लेकिन वह बैराड़ स्वास्थ्य केन्द्र में अटैचमेंट हैं। बैराड़ में भी वह मरीजों से उपचार के नाम पर अवैध बसूली का सिलसिला जारी रखे हुए हैं। जिसकी बजह से कभी बैराड़ अस्पताल में बड़ी घटना भी घटित हो सकती हैं।
ड्यूटी टाईम में घर पर उपचार करता हैं चिकित्सक
उपस्वास्थ्य केन्द्र बैराड़ में पदस्थ चिकित्सक हरिश आर्य अपनी ड्यूटी टाईम पर अस्पताल में आने वाले मरीजों के उपचार के स्थान पर घर पर ही फीस लेकर उपचार किया जाता है। लोगों का कहना है कि उप स्वास्थ्य केन्द्र से डॉक्टर के घर पर मरीजों को भेजने का कार्य वहां पदस्थ वार्डवाय जितेन्द्र गौर करता है।
पैसा नहीं दिया तो घायल को कर दिया जाता है रैफर
दुर्घटना में घायल मरीज को तत्काल उपचार की आवश्यकता होती हैं लेकिन वहां पदस्थ डॉक्टर उपचार और एमएलसी के नाम पर पांच से लेकर दस हजार रूपए सुविधा शुल्क के रूप में मांगे जाते हैं। अभी हाल ही में हुसैनपुर में हुए झगड़े में घायल लोगों से एमएलसी और उपचार के नाम पर पांच हजार रूपए की मांग की गई जब घायलों ने पांच हजार रूपए देने में असमर्थता जताई तो काफी देर तक उनका उपचार नहीं किया जिसकी भनक कुछ मीडिया कर्मियों को लगी और वे वहां पहुंच गए।
मीडिया कर्मियों ने डॉक्टर की शिकायत विधायक सुरेश राठखेड़ा से की जिस पर से विधायक डॉक्टर उपचार के लिए कहा उनके कहने के बाद भी डॉक्टर ने घायलों का उपचार नहीं किया बल्कि जिला चिकित्सालय के लिए रैफर कर दिया। इसी तरह दुर्घटना में घायल गत रात्रि दो अन्य व्यक्तियों से उपचार व एमएलसी के नाम पर पांच-पांच हजार रूपए की मांग की। लेकिन सूत्रों का कहना है कि घायलों ने बमुशिकल तीन-तीन हजार रूपए जुटाकर वार्डवाय के माध्यम से दिए तब कहीं जाकर उनका उपचार किया गया।
विकास खण्ड चिकित्सा अधिकारी सुनील गुप्ता से फोन पर चर्चा की तो उनका कहना था कि वार्ड वाय जितेन्द्र गौर पूर्व में पोहरी स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ था जहां से उसे मरीजों से अवैध बसूली और दुव्यवहार के कारण स्थानांतरण कराया था। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मांग की हैं कि वह इस वार्डवाय को उनके कार्यक्षेत्र से बाहर स्थानांतरण किया जाए।
मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्जुन लाल शर्मा का कहना है कि यदि बैराड़ में पदस्थ चिकित्सक व वार्डवाय द्वारा घायल व बीमार मरीजों से उपचार के नाम पर रूपयों की मांग की हैं तो उसकी वह जांच कराकर दोषी चिकित्सक व वार्डवाय के खिलाफ वैधानिक कार्यवाहीं करेंगे।