सिंधिया को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों दल की धडकनें तेज, कांग्रेस को सरकार का तो भाजपा को राजनीति प्रभावित होने का डर | Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। कांग्रेस के दिग्गज नेता, पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोडऩे की अटकलें निरंतर सोशल मीडिया पर जारी है। सिंधिया द्वारा इन खबरों का खण्डन न किए जाने से भी आशंकाओं को बल मिला है। कांग्रेस  में सिंधिया को उनके कद के अनुरूप महत्व भी नहीं मिल रहा है और इसे भी ग्वालियर राजघराने के मुखिया महसूस कर रहे  हैं।

भाजपा में उनके कथित संभावित प्रवेश से कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों में बैचेनी का  वातावरण है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि यदि सिंधिया ने पार्टी छोड़ी तो प्रदेश में उनकी सरकार एक झटके में चली जाएगी। वहीं भाजपा में भी  खलबली है कि यदि सिंधिया आए तो ग्वालियर चंबल संभाग की पार्टी की पूरी राजनीति बदल जाएगी। सिंधिया की खामोशी ने इस बैचेनी को बढ़ा रखा है हालांकि खतरे को भांपकर कांग्रेस ने सिंधिया को महाराष्ट्र चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी को चेयरमेन बना दिया है, लेकिन इस  पर अभी सिंधिया की कोई प्रतिक्रिया  नहीं आई है।

सिंधिया को कांग्रेस में महत्व नहीं मिल रहा, इसे राजनीति में जरा सी भी समझ रखने वाला व्यक्ति जानता है। कांग्रेस ने प्रदेश में सत्ता में आने के लिए सिंधिया का भरपूर दोहन किया, लेकिन इसके बदले मे पार्टी ने उन्हें जरा सा भी पुरस्कार और प्रोत्साहन नहीं दिया। जिसके कारण लोकसभा चुनाव में भी सिंधिया को पराजय का सामना करना पड़ा जबकि गुना संसदीय क्षेत्र सिंधिया राजपरिवार का अभेद दुर्ग माना जाता था।

सिंधिया राजपरिवार के किसी भी सदस्य को अभी तक गुना संसदीय क्षेत्र से पराजय हासिल नहीं हुई थी। इसे भी कहीं न कहीं सिंधिया ने महसूस किया और जिसके परिणामस्वरूप पहली बार धारा 370 के मुद्दे पर पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी की लाइन के विपरीत बयान देकर मोदी सरकार द्वारा धारा 370 को हटाने के लिए निर्णय का समर्थन किया।  

इससे सिंधिया खुलकर मोदी सरकार के पक्ष में खड़े दिखाई दिए तभी से अफवाहों के बादल घने होने लगे कि सिंधिया भाजपा में जा सकते हैं। इसी बीच सिंधिया का 21 और 22 अगस्त का ग्वालियर संसदीय क्षेत्र का दौरा भी अचानक रद्द हो गया। जिससे मीडिया ने सिंधिया को पार्टी छोडऩे की अफवाहों को हवा दी। सोशल मीडिया में पहले से ही सिंधिया के भाजपा में शामिल होने की खबरें उभर आई थी।

संभाग में सिंधिया के अधिकांश समर्थक भी चाहते हैं कि वक्त की नजाकत को देखकर सिंधिया राजनीति की नई पारी शुरू करें जिससे उनके क्षेत्र का विकास सुनिश्चित हो सके। हालांकि कुछ समर्थक ऑन दि रिकॉर्ड यह दावा कर रहे हैं कि सिंधिया किसी भी हाल में कांग्रेस नहीं छोड़ेगी। उनकी दो पीढिय़ों ने जो मेहनत करके कांग्रेस में अपना मुकाम हासिल किया है वह भाजपा में जाने पर शायद न मिल पाए।

लेकिन पिछले दस दिन से चल रही इन अफवाहों पर सिंधिया ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही भाजपा की ओर से किसी जिम्मेदार व्यक्ति ने कोई बयान जारी किया है बल्कि कुछ भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे के खिलाफ चल रहे मामले के परिप्रेक्ष्य में कमलनाथ से इस्तीफे की मांग करते हुए सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने का बयान दिया है। सोशल मीडिया पर यह खबर आम है कि सिंधिया की अमित शाह और शिवराज सिंह चौहान से लंबी चर्चा हुई है।

सिंधिया के भाजपा में जाने की कथित अफवाहों को लेकर सबसे पहले प्रतिक्रिया ग्वालियर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राज चड्डा ने अपने फेसबुक   पेज पर की है। उन्होंने लिखा है कि हमारी चिंता यह है कि यदि सिंधिया भाजपा में आए तो हमारे स्वाभिमानी कार्यकर्ताओं का क्या होगा।

क्या भाजपा कार्यकर्ता भी ग्वालियर महल के दरवाजे पर वैसे ही खड़े रहेंगे जैसे अभी कांग्रेसी खड़े रहते हैं। चड्डा ने लिखा है कि सिंधिया आए तो प्रदेश भाजपा के बड़े नेता उन्हें कैसे सहन करेंगे। भाजपा में घोर सिंधिया विरोधी जयभान सिंह पवैया का क्या होगा। उन्होंने साफ साफ लिखा है कि ऊपर से हां हां करने वाले और अंदर से जड़े काटने में सिद्ध हस्त भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की गति सांप छछुंदर वाली करके रख देंगे।

कांग्रेस प्रवक्ता चतुर्वेदी ने कहा यह दुष्प्रचार है

सिंधिया से जुड़े मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि सिंधिया कांग्रेस के सीनियर नेता हैं और वे कांग्रेस में ही रहेंगे। उनके बारे में जो दुष्प्रचार है उसका समय आने पर माकूल जवाब दिया जाएगा। चतुर्वेदी का कहना है कि सिंधिया का ग्वालियर संसदीय क्षेत्र का दौरा व्यस्तता के कारण रद्द हुआ है।

भाजपा ने दिया था सीएम के पद का ऑफर

ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया के निधन के बाद सक्रिय राजनीति में उतरे। पिता के रहते सिंधिया खुलकर राजनीति में नहीं आए थे। वे सिर्फ चुनाव के दौरान पिता का प्रचार करने आते थे। माधव राव सिंधिया के निधन के बाद सिंधिया राजनीति में उतरे तब प्रदेश में भाजपा विपक्ष में थी। उस समय बताया जाता है कि भाजपा की ओर से सिंधिया को पार्टी में आने पर सीएम पद का ऑफर दिया गया था। लेकिन वे कांग्रेस में ही गए।

सिंधिया को बनाया महाराष्ट्र चुनाव स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष

सिंधिया के भाजपा में जाने की अटकलों के बीच कांग्रेस ने उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है। सिंधिया के अलावा इस कमेटी में हरीश चौधरी, मन्नीकाम टागोरे, मल्लिकार्जुन खडग़े, बालासाहब थारोट एवं केसी पटवई को शामिल किया गया है। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस कमेटी के गठन की स्वीकृति प्रदान की। गौरतलब है कि कुछ महीने बाद महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने है।