शिवपुरी। मछलियों की बंश बृद्धि को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने भले ही पूरे जिले में मत्स्य आखेट मत्स्य बिक्रय एवं मत्स्य परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया हे। लेकिन करैरा अनुबिभाग के अंतर्गत स्थित जलाशयों में आज भी मछली माफिया सक्रिय हें और बड़ी तादाद में मछलियों को पकडक़र उनका जिले से बाहर व अनुबिभाग में परिबहन किया जा रहा हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बर्षाकाल मछलियों का प्रजनन काल माना जाता हैं। क्यों की बारिश के इन दिनों में मछलियाँ अंडे देती हैं। बताया गया हैं की एक-एक मछली लाखों और करोड़ों की संख्या में अंडे देकर बंश बृद्धि करती हे। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुये राज्य शासन की मंशा के अनुरूप हर साल जिला प्रशासन द्वारा मत्स्य आखेट मत्स्य बिक्रय एवं मत्स्य परिवहन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया जाता हैं।
लेकिन हर साल की तरह इस बार भी शिवपुरी जिले की सबसे बड़ी तहसील करैरा के अनुबिभाग में सक्रिय मछली माफियाओं की सक्रियता के आगे प्रशासन द्वारा मत्स्य आखेट पर लगाया गया प्रतिबंध बेअसर साबित हो रहा हैं।
सूत्र बताते हे कि बर्षाकाल में मछलियाँ चूँकि अंडे देती हे इसलिये इन दिनों मछलियों की कीमत बढक़र डेढ से दो गुना हो जाती हैं। क्यों की इन दिनों अधिकांश मछलियों के पेट में बड़ी तादाद में अंडे निकलते हे और इन अंडो को लोग बड़े चाव से खाते हैं जो खाने में काफी स्वादिष्ट लगते हैं।
सूत्रों की माने तो बिभागीय और प्रशासनिक अधिकारियों की मिली भगत से करैरा अनुबिभाग में मछलियों का कारोबार करने बाले लोग इन दिनों सम्मोहा डेम, डुमघना डेम, बॉसगढ़ तालाब, दिनारा तालाब, दिहालया झील. महुअर नदी, सिंध नदी सहित अन्य नदी व नालों में मत्स्य आखेट करते हुये कभी भी देखे जा सकते हैं।
बताया गया हे कि इन मछली माफियाओं के द्वारा मैजिक मेटाडोर ट्रक आदि में लादकर बड़ी तादाद में मछलियाँ झांसी कानपुर एवं ग्वालियर आदि शहरों की मंडियों में भेजी जा रही हे । सूत्र तो यहाँ तक बताते हे कि मछली माफियाओं द्वारा मत्स्य बिभाग के अधिकारियों से लेकर स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों को किसी न किसी रूप में हर माह उपकृत किया जाता हैं।सम्भवत: यही कारण हे की सब कुछ जानते हुये भी अधिकारी गण मछलियों की बंश बृद्धि में घातक साबित हो रहे हैं।