एक्सरे @ ललित मुदगल / शिवपुरी। पूर्व सीएम शिवराज सिंह की सभा के लिए जुटाई गई भीड के लिए ली गई बसों की सेवा के भुगतान में आरटीओ मधु सिंह 18 लाख का गबन कर दिया। यह मामला शिवपुरी की मीडिया से होते हुए विधानसभा में भी उठा, लेकिन विधानसभा में भी आरटीओ को क्लीन चिट मिल गई, लेकिन अब यह मामला मूल दास्तावेजो के साथ हाईकोर्ट में जाने की तैयारी कर रहा हैं।
जैसा कि विदित हैं पिछले वर्ष 2018 जुलाई में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी का कार्यक्रम पिछोर में हुआ था जिसमे वाहनों की व्यवस्था जिला परिवहन कार्यालय से कराई गई थी, जिसमे 47 लाख रुपये का भुगतान जिला पंचायत शिवपुरी ने जिला परिवहन अधिकारी के पत्र के आधार पर किया।
यह पूरा मामला शिवपुरी की मीडिया ने उठाया था। आरटीओ शिवपुरी मधुसिंह के इस भ्रष्ट्राचार का मामला प्रश्न बनकर विधानसभा में भी उठाया गया, लेकिन परिवहन विभाग के मंत्री गोविंद सिंह ने विधानसभा ने जबाब दिया था कि उक्त भुगतान की प्रक्रिया में परिवहन विभाग दवारा ना तो भुगतान प्राप्त किया हैं और न ही किसी को भुगतान किया गया हैं।
कार्यक्रम हेतु उपलब्ध कराई गई बसों का भुगतान सीईओ जिला पंचायत शिवपुरी दवारा किया गया। अतं:परिवहन विभाग के किसी भी अधिकारी कर्मचारी के विरूद्ध् किसी प्रकार की कोई कार्यवाही की स्थिति निर्मित नही होती हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता विजय शिवपुरी ने इस मामले के दास्तावेज जिला पंचायत विभाग से सूचना के अधिकार के तहत लिए। इन दास्तावेजो में वह पत्र हैं जिसके आधार पर जिला पंचायत विभाग ने बसो को पेमेंट किया हैं।
इस पूरे मामले में यह सवाल लगातार खडे हो रहे है। सबसे बडा सवाल की एक आरटीओ ने विभाग के मंत्री से ही गलत जबाब विधानसभा में दिलवा दिया। आरटीओ शिवपुरी ने 18 लाख का भुगतान 2 पत्रो के आधार पर करवा दिया और यह पत्र हमे सूचना के अधिकार से प्राप्त हुए हैं।
इस पत्र को आरटीओ शिवुपरी ने क्यू में लिखा हैं,इस पत्र पर ही सवाल खडे हो गए कि ऐसी कौनसी ऐमरजैंसी थी उकत भुगतान के ओदश का पत्र क्यू में घर पर ही लिखा गया। यह पूरा घोटाला आरटीओ ने सोची समझी रणनीति के तहत किया गया हैं भुगतान के लिए जिला पंचायत विभाग के लिए पत्र क्यू में लिखा जाना ही सबसे बडा प्रमाण हैं।
आरटीओ शिवपुरी ने इस पत्र में जिला पंचायत को भुगतान करने वालो के नाम लिखे हैं,पत्र में 5 बसों के मालिक के नाम 25 बस का भुगतान किया है,उनमें से कई ऐसे लोग है जिनके नाम कोई बस पंजीकृत नही है और न ही कोई वैध लाइसेंसधारी ट्रेवल्स एजेंसी के संचालक हैं।
उक्त भुगतान पुष्पेंद्र यादव और अशोक नागपाल के नाम एक भी बस पंजीकृत नही है और न ही कोई ट्रेवल्स एजेंसी पंजीकृत हैं। आरटीओ ने जिलापंचायत को न तो यात्री बसों की कोई सूची नही दी। बसे कितनी ओर कोन कोन सी बस रैली में गयी थी जिनके लिए भुगतान प्राप्त किया हैं।ओर न ही उन यात्री बसों की लोग बुक जिला पंचायत में जमा की है जिससे पता चले कि कौन सी बस कितने किलोमीटर चली हैं।
उनके हाथ से लिखे गए पत्र और जिला पंचायत की नोटसीट साफ साफ बयां कर रही है कि भुगतान किसके कहने पर किया गया हैं यह 18 लाख का घोटाला पूरे षंडयत्र पूर्वक पकाया गया हैं। बताया जा रहा हैं कि उक्त मामले की शिकायत लोकायुक्त में भी की गई थी लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई। अब आटीआई कार्यकर्ता विजय शर्मा इस आरटीओ मधुसिंह के इस आधे करोड के घोटाले के मामले को हाईकोर्ट ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।