शिवपुरी। बिना नोटिस दिए शिवपुरी जिले के पुलिस थाना भौंती में पदस्थ प्रधान आरक्षक व आरक्षक की एक-एक वेतनवृद्धि रोकने के मामले में हाईकोर्ट ने शिवपुरी के प्रभारी एसपी विवेक अग्रवाल से स्पष्टीकरण मांगा है।
नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एसपी से पूछा कि आपने कौन से नियम के अंतर्गत बिना नोटिस दिए वेतनवृद्धि रोकने का आदेश दिया। इस पर एसपी ने माना कि आदेश देने से पहले कारण बताओ नोटिस जारी करना चाहिए था और जवाब मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई करना चाहिए थी। मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी, जिसमें प्रभारी एसपी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है।
दरअसल नाबालिग के साथ दुष्कर्म के आरोपी नवल जाटव ने ट्रायल में हो रहे विलंब को आधार बनाकर जमानत याचिका लगाई है। 24 जुलाई को हुई सुनवाई में आरोपी के वकील गौरव मिश्रा ने बताया कि इस मामले में कुल 23 गवाह हैं, जिनमें से अधिकांश के बयान दर्ज हो चुके हैं जबकि पुलिस विभाग के एसआई संतोष यादव व प्रधान आरक्षक अवतार सिंह गवाही के लिए नहीं आ रहे। कोर्ट उनके खिलाफ जमानती वारंट भी जारी कर चुका है।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए एसपी को अगले दिन उपस्थित रहने का निर्देश दिया था। 25 जुलाई को हुई सुनवाई में एसपी ने कोर्ट को बताया कि वारंट तामील करने में लापरवाही बरतने पर संबंधितों की वेतनवृद्धि रोक दी गई है। हालांकि अब इस मामले में प्रक्रिया की अनदेखी करने पर कोर्ट ने एसपी से स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है।ॉ
वहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकारी वकील की कार्य प्रणाली पर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि यदि सरकारी वकील ने एसपी को बताया होता कि बिना नोटिस दिए वेतनवृद्धि रोकना नियम विरुद्ध है तो यह स्थिति निर्मित नहीं होती।