शिवपुरी। महिला बाल विकास के प्रशिक्षण केन्द्र में आयोजित विश्व स्तनपान सप्ताह की कार्यशाला में जिले में बढ़ रहे कुपोषण की चर्चा में महिला बाल विकास विभाग की सुपरवाईजर रेखा श्रीवास्तव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में महिलायें आज भी ठेकेदारों के यहां बन्धुआ मजदूरी कर रही हैं। क्योंकि जब महिला मजदूरी कर रही होती हैं तो वह बच्चों की देखभाल नहीं कर पाती हैं, ऐसी स्थिति में कुपोषित बच्चों की संख्या में ईजाफा हो जाता हैं।
महिला बाल विकास विभाग की सुपरवाईजर श्रीमती रेखा श्रीवास्तव के इस बयान से यह बात साफ रूप से सिद्ध कर दिया कि सरकार के लाख उपाय करने के बाद भी बन्धुआ मजदूरी का चलन आज भी बंद नहीं हुआ हैं। महिला बाल विकास विभाग महिला के प्रति कितना जागरूक है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की क्या दशा हैं यह जानने की कभी कोशिश ही नहीं की। जिसकी जानकारी आज सुपरवाईजर श्रीमती रेखा श्रीवास्तव ने बदरवास के एक स्थान का पर बन्धुआ महिला का उदहारण देकर कार्यशाला में समझाते हुए कहा कि हमने बदरवास एनआईसी उसके बच्चे को भर्ती कराकर उसे कुपोषण से मुक्ति दिलाई।
विश्व स्तनपान कार्यशाला में दी जानकारी
बच्चे के जन्म के तत्काल बाद ही जीवन रक्षक खीस (कोल्स्ट्रम)मिलता हैं जिसमें विटामिन ए सर्वाधिक मात्रा में रहता हैं जो शिशु के लिए स्वास्थ्य वर्धक होता हैं। प्रदेश में प्रति वर्ष 14 लाख बच्चों में से केवल 4.8 लाख बच्चों को ही जीवन रक्षक खीस (स्तनपान) मिल पाता हैं। जबकि 9.2 लाख बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। इसके पीछे का मुख्य कारण पुरानी कुरूतियां हैं। इनको मिटाना होगा और नवजात शिशु जन्म के तत्काल बाद स्तनपान कराना ही आवश्यक हैं।
1 से 7 अगस्त तक चलाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह
महिला बालविकास की सुपरवाई बाईजर ने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह 1 से 7 अगस्त तक चलेगा। जन्म के तुरंत एक घंटे के भीतर स्तनपान करवाने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं और जन्म से 6 माह तक केवल स्तनपान करवाना, केवल माँ का दूध ही बच्चे के लिए पर्याप्त होता हैं। 6 माह से 2 वर्ष तक स्तनपान के साथ