शिवपुरी। शुद्ध पर्यावरण के लिये जंगल के साथ वन्यप्राणियों की प्रजातियों की उपस्थिति भी आवश्यक है और इन दोनों घटको से ही मानव का अस्तित्व भी जुड़ा हुआ है। उक्त उद्गार रेडिऐन्ट ग्रुप द्वारा आयोजित पर्यावरण संरक्षण एवं बाघ दिवस के अवसर पर आयोजित सेमीनार में बोलते हुए अखलाक खान ने व्यक्त किए।
आपने कहा विकास की अंधी दौड़ और बाजार बाद की बजह से हम जंगलों का दोहन कर रहे हैं जिससे पर्यावरण दूशित हो रहा है व जानवरों के आवासनश्टहोरहेंहैं।हमें ऐंसेविकास के मॉडल अपनाने की जरुरत है जिसमें जल, जंगल, जानवर, जमीन सब सुरक्षित रहेें तभी मानव अस्तित्व भी सुरक्षित रह सकेगा।
प्राचार्य डा. खुशी खान ने कहा की भारत में बाघों के संरक्षण को लेकर सराहनीय कार्य हुआ है इसके लिए प्रत्येक भारत वासी बधाई का पात्र है। हमें बृक्षा रोपण कर उनकी देख रेख करना चाहिए तथा विभिन्न जैविक प्रजातियों की उपयोगिताको समझतेहुए उनकासंरक्षण व सम्वद्र्धनकरनाचाहिए। रेडिऐन्ट के संचालक शाहिद खान ने बाघसंरक्षणमें मध्यप्रदेश में के वनअमले के प्रयासों की प्रशंसा की।
आपने शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में भी वाघों के बसाने की बात रखी। कार्यक्रम में पूनमगुप्ता, गौरव अग्रवाल, कृष्णमुरारी शर्मा, बलराम शर्मा, सुरेश श्रीवास्तव, दीप्ती कटारे, सलोनी झाा, महेन्द्र शर्मा, वेदप्रकाश यादव, रोहित शर्मा, मनीष धाकड़, नरेश गोलिया, हरेन्द्र अहिरवार, जीवन ओझा ने भी अपने विचार रखे व एक स्वर में समथली कि वे वाघ संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करते रहेंगें।