ललित मुदगल, शिवपुरी। मामला कोलारस के एक झोलाछाप डॉक्टर से जुडा हैं, इस झोलाछाप डॉक्टर को शिवपुरी प्रशासन ने राष्ट्रीय दामाद घोषित करते हुए उस पर कार्रवाई न करने का मन बना लिया हैं या तो उससे खुलेआम घूस खा ली गई है इस कारण उस पर इतने बडे गंभीर मामले में कार्रवाई नही की जा रही है।
इसी कारण प्रशासन भी अपनी इतनी बेज्जइती करवा रहा हैं, या फिर खाई हुई घूस की वह ईमानदारी से बजा रहा हैं इस मामले को लेकर मीडिया भी लगातार उस पर हमले कर रही पर पैसों के खातिर सब कुछ झेल रहा हैं। उदाहरण भी शानदार आ रहा है कि घूस खाने के बाद हम कितने घूस देने वाले के प्रति पूरे वफादार हैं और ऐसी वफादारी के लिए प्रशासन वाकई बधाई के पात्र हैं।
जैसा कि विदित है कि बीत 29 मार्च कोलारस में राई रोड पर स्थित उपकार सील का तहसीलदार और बीएमओ ने छापामार कार्रवाई को अंजाम दिया। इस क्लीनिक पर उपस्थित डॉक्टर पर ऐसे कोई कागजात नही मिले जिससे वह नियमानुसार ईलाज करने की पात्रता रखता हों,उसको झोलाछाप कहा जा सकता था। इस छापामार कार्रवाई में क्लीनिक पर एक्सपायर डेट की दवाईयां मौके पर मिली। मौजूद स्टाफ भी क्वालीफाईड नही था। प्रशासन न पंचनामा बनाकर क्लीनिक को सील कर दिया।
बताया जाता है कि इस क्लीनिक के झोलाछाप डॉक्टर उमाचरण धाकड ने प्रशासन ने खुले आम चुनौती देते हुए सील हुए क्लीनिक के पास बंद पडी दुकानो में फिर से मरीजो को ईलाज करना शुरू कर दिया। इसके बाद प्रशासन ने इस दुकान को भी सील कर दिया।
बताया गया है कि छापामार कार्रवाई के बाद एसडीएम ने इस कलीनिक के संचालक पर मामला दर्ज करने के लिए सीएमओ को लिखा। जानकारी मिल रही हैं कि मामला दर्ज कराने की बात तो छोडो इस झोलाछाप डाक्टर ने प्रशासन को खुले आम चुनौती देते हुए बंद क्लीनिक के सील लगे तोले तोड दिए। प्रशासन मूक बना देखता रहा।
इस पूरे मामले में कोलारस टीआई का कहना कि स्वास्थय विभाग ने पूरे कागजात नही दिए हैं,जिससे उक्त क्लीनिक संचालक पर मामला दर्ज किया जा सके। वही बीएमओ का कहना है कि हमने क्लीनिक सील कर दी कैसे खुल गई जानकारी नही हैं तो वही सीएमएचओ को कहना है कि हमने एफआईआर के लिए 3 दिन पूर्व पत्र लिख दिया हैं। एसडीएम ने भी लिख दिया हैं कोलारस थाना-प्रभारी के लिए। अब यह थाना प्रभारी के हाथ में वह एफआईआर क्यो नही कर रहे।
कुल मिलाकर कार्रवाई की फुटवाल इस अधिकारी से इस अधिकारी के यहां घूम रही हैं। मीडिया इस मामलो को प्रकाशित कर रहा हैं,पर इस झोला छाप डॉक्टर पर कार्रवाई नही हो रही हैं। सरकारी सील को तोड कर उसमें बडे ही शान से बिना डिग्री के इलाज कर रहा डॉक्टर ने सीधे-सीधे प्रशासन को चुनौती दी हैं कि अब हो तो दम कार्रवाई करके दिखाओ।
इस पूरे मामले में यह बात भी सामने आ रही हैं कि इस झोला छाप डॉक्टर पर कार्रवाई करने से प्रशासन क्यों डर रहा हैं क्या यह कोई राष्ट्रीय दामाद हैं,जो भारत का कानून इस पर लागू नही होता हैं क्या अधिकारीयो ने इस पर कार्रवाई न करने की लिए शुल्क लिया हैं,इस कारण इस मामले को मीडिया द्धारा ट्रोल करने पर भी प्रशासन के शर्म नही आ रही हैं।
या फिर प्रशासन पूरी तरह से इस घूस खाकर पूरी तरह से शरक्षण गच्छामि हो गया है और उसकी सुविधा शुल्क के कारण उसको पूरी सुविधा दे रहा हैं। अब देखते है इस मामले में क्या होता है कार्रवाई होगी या फिर प्रशासन ऐसे ही अपनी किरकिरी करता रहेगा।